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मुख्यमंत्री रघुवर दास ने कहा : नक्सलियों की संपत्ति जब्त करने लिए इडी की स्थापना हो
रांची : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को नयी दिल्ली में उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड सरकार की योजनाओं और रणनीति के बारे में जानकारी दी. श्री दास ने कहा कि सरकार की जन कल्याणकारी एवं सर्वांगीण विकास की रणनीतियों ने […]
रांची : केंद्रीय गृह मंत्री राजनाथ सिंह की अध्यक्षता में सोमवार को नयी दिल्ली में उग्रवाद से प्रभावित राज्यों के मुख्यमंत्रियों की बैठक हुई. इसमें मुख्यमंत्री रघुवर दास ने झारखंड सरकार की योजनाओं और रणनीति के बारे में जानकारी दी. श्री दास ने कहा कि सरकार की जन कल्याणकारी एवं सर्वांगीण विकास की रणनीतियों ने घोर उग्रवाद प्रभावित राज्य में बड़े पैमाने पर नक्सलवाद के विरुद्ध लड़ाई को जीत लिया.
नक्सल प्रभावित क्षेत्रों में पूर्व से चल रहे सारंडा एवं सरयू एक्शन प्लान के अलावा विकास के 11 एक्शन प्लान चलाये जा रहे हैं. इस मौके पर नक्सलियों की संपत्ति जब्त करने के लिए प्रवर्तन निदेशालय की स्थापना करने का आग्रह किया. वहीं नक्सल अभियान के संचालन के लिए केंद्र से सहयोग मांगा गया.
इन बिंदुओं पर डाला प्रकाश
सरकार ने वामपंथी नक्सलियों से प्रभावित जिलों के लिए एसीए की पुर्नस्थापन करने के साथ-साथ नक्सल विरोधी अभियान के लिए प्रतिनियुक्त केंद्रीय सुरक्षा बलों पर हुए खर्च की बकाया राशि लगभग 4000 करोड़ रुपये को माफ करने का आग्रह किया.
साथ ही नक्सल विरोधी अभियानों के लिए पुलिस हेलीकॉप्टर के इस्तेमाल के लिए सिक्यूरिटी रिलेटेड एक्सपेंडिचर फंड (एसआरइ) के तहत प्रतिपूर्ति करने, रांची में हवाई निगरानी इकाई की स्थापना की भी मांग की गयी. झारखंड के जिलों में विशेष बल के लिए एसआइएस योजना के तहत बुनियादी ढांचे के निर्माण, रांची में मादक पदार्थ नियंत्रण ब्यूरो (एनसीबी) के पूर्ण विकसित विभाग की स्थापना करने, पीएफआइ से प्रभावित पाकुड़ और साहेबगंज जिलों में मदरसों का आधुनिकीकरण करने की मांग की गयी.
नक्सल घटनाएं 400 से घट कर 200 से कम हुई
सीएम रघुवर दास ने कहा कि वर्ष 2001 से वर्ष 2014 की तुलना में वर्ष 2015-16 में होनेवाली नक्सली घटनाओं में काफी कमी हुई है. सार्थक एवं कारगर अभियान से नक्सलियों के जनाधार में अप्रत्याशित कमी आयी है.
वर्ष 2001-14 के बीच जहां नक्सली घटनाओं की औसत संख्या प्रतिवर्ष करीब 400 थीं, वहीं वर्ष 2015 एवं वर्ष 2016 में यह औसतन 200 से भी कम हुई है. वर्ष 2001-14 की बीच नक्सल हमलों, मुठभेड़ में शहीद होने वाले पुलिसकर्मी की औसत संख्या प्रतिवर्ष 35 एवं मृत आम नागरिकों की संख्या 115 रही, जो दो वर्षों में घटकर क्रमश: पांच एवं 50 के करीब है. पहले नक्सलियों द्वारा पुलिस हथियार लूटे जाने की औसत संख्या 39 रही, जबकि दो वर्षों में यह संख्या शून्य हो गयी है.
आत्मसमर्पण नीति को मिला समर्थन, सवा दो साल में 79 उग्रवादी ने किया समर्पण
श्री दास ने कहा कि आकर्षक आत्मसमर्पण नीति के कारण कई उग्रवादी मुख्यधारा में शामिल हुए. वर्ष 2001-14 तक राज्य में 70 उग्रवादियों ने आत्मसमर्पण किया था, जबकि वर्ष 2015 से अब तक 79 उग्रवादी समर्पण कर चुके हैं.
नक्सलियों के विरुद्ध सघन अभियान के कारण वर्ष 2015 में 458 और 2016 में 64 उग्रवादियों की गिरफ्तारी हुई है. व्यापक पैमाने पर हथियारों की बरामदगी की गयी, जिनमें सुरक्षाबलों से लूटे गये हथियार भी शामिल हैं. नक्सलियों के पास से 14 वर्षों में लेवी की संग्रहित राशि औसतन 28 लाख रुपये प्रतिवर्ष बरामद की गयी, जबकि गत सवा दो वर्षों में नक्सलियों के पास से करोड़ों की राशि बरामद की गयी है.
59 नये थाने का सृजन, 56 सहायक थाने हुए अपग्रेड
मुख्यमंत्री ने कहा कि दो वर्षों में 49 नये थाने सृजित किये गये एवं 56 सहायक थानों को अपग्रेड किया गया. नये पुलिस पिकेट खोलने का सीधा असर हुआ कि हजारीबाग, बोकारो, रांची ग्रामीण क्षेत्र, जमशेदपुर, लातेहार का उत्तरी हिस्सा, गढ़वा का उत्तरी क्षेत्र नक्सल मुक्त हो गया.
वहीं खुफिया तंत्र को मजबूत करने के लिए बड़े पैमाने पर विशेष पुलिस पदाधिकारी (एसपीओ) प्रतिनियुक्त किये गये हैं. झारखंड एवं सीमावर्ती राज्यों के विशेष कार्य बल तथा कोबरा को सम्मिलित कर संयुक्त अभियान दल बनाया गया है. राज्य में खुफिया सूचना संकलन, उनके आदान-प्रदान और उग्रवादियों के विरुद्ध अभियान में राज्य पुलिस और केंद्रीय बल कंधे से कंधे मिला कर अभियान संचालित कर रहे हैं. परिणामत कई सफल मुठभेड़ हुए हैं, जिसमें कई शीर्ष उग्रवादी भी मारे गये हैं.
जंगली व पहाड़ी क्षेत्रों में और खुलेगी फारवर्ड कैंपिंग साइट
मुख्यमंत्री ने कहा कि राज्य सरकार ने निर्णय लिया है कि बिहार, पश्चिम बंगाल, उड़ीसा, छत्तीसगढ़ एवं उत्तर प्रदेश के दो किलोमीटर की परिधि में जो भी गांव अवस्थित हैं , उनका समुचित विकास किया जाये. वहीं, राज्य सरकार जंगली एवं पहाड़ी क्षेत्रों में और अधिक फारवर्ड कैंपिंग साइट खोलेगी. कुछ माओवादियों ने संगठन छोड़कर अपना अन्य संगठन तैयार कर लिया है, जो हिंसात्मक कार्रवाई एवं लेवी वसूलने में संलिप्त हैं. इनमें मुख्यत टीपीसी,जेपीसी, पीएलएफआइ एवं जेजेएमपी हैं.
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