रांची-जमशेदपुर एनएच: संवेदक की कार्यशैली से हाइकोर्ट नाराज, कहा क्यों नहीं अापके खिलाफ शुरू की जाये अवमानना की प्रक्रिया

रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए संवेदक की कार्यशैली व पूर्व में दाखिल जवाब पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 9, 2017 6:20 AM
रांची : झारखंड हाइकोर्ट ने सोमवार को रांची-जमशेदपुर राष्ट्रीय राजमार्ग (एनएच) के तेजी से निर्माण को लेकर स्वत: संज्ञान से दर्ज जनहित याचिका पर सुनवाई करते हुए संवेदक की कार्यशैली व पूर्व में दाखिल जवाब पर नाराजगी जतायी. चीफ जस्टिस प्रदीप कुमार मोहंती व जस्टिस आनंद सेन की खंडपीठ ने माैखिक रूप से कहा कि क्यों नहीं आपके खिलाफ नेशनल सिक्यूरिटी एक्ट के तहत अवमानना की प्रक्रिया शुरू की जाये. एनएच के मरम्मत कार्य का स्थलीय सत्यापन कर लाैटे प्लीडर कमिश्नरों की मौखिक रिपोर्ट पर खंडपीठ ने संवेदक कंपनी के प्रति नाराजगी जतायी. खंडपीठ ने मामले की विस्तृत सुनवाई के लिए 10 मई की तिथि निर्धारित की.

इससे पूर्व प्लीडर कमिश्नर अधिवक्ता हेमंत कुमार सिकरवार व अधिवक्ता काैशिक सरखेल ने सीलबंद लिफाफे में रिपोर्ट, 160 फोटोग्राफ्स व वीडियो रिकाॅर्डिंग को कोर्ट में प्रस्तुत किया. उन्होंने माैखिक रूप से खंडपीठ को बताया कि एनएच का मरम्मत कार्य सही तरीके से पूरा नहीं किया गया है.

जब वे लोग एनएच के मरम्मत कार्य का सत्यापन कर रहे थे, तो टैंकर से पानी डाला जा रहा था. कई जगहों पर गड्ढे नजर आये. गड्ढों में पानी भरा हुआ था. उल्लेखनीय है कि पूर्व में कोर्ट के निर्देश पर संवेदक ने 30 अप्रैल तक एनएच का मरम्मत कार्य पूरा कर लेने संबंधी अंडरटेकिंग दिया था. बाद में शपथ पत्र दायर कर मरम्मत कार्य पूरा कर लेने की जानकारी भी दी थी. कोर्ट ने मरम्मत कार्य के भाैतिक सत्यापन के लिए दो प्लीडर कमिश्नर नियुक्ति किया था. एनएचएआइ की अोर से वरीय अधिवक्ता अनिल कुमार सिन्हा ने पक्ष रखा. पिछली सुनवाई के दाैरान एचएचएआइ की अोर से बताया गया था कि रांची-जमशेदपुर एनएच पर 8.4 किमी में गड्ढा है, लेकिन मरम्मत कार्य पूरा नहीं हो पाया है. 26.90 किमी सड़क का मरम्मत कार्य बाकी है. उल्लेखनीय है कि एनएच की दयनीय स्थिति को झारखंड हाइकोर्ट ने गंभीरता से लेते हुए उसे जनहित याचिका में तब्दील कर दिया था.

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