जन्मदिन पर रघुवर ने महाराणा प्रताप को किया याद, जानिए उस वीर के बारे में कुछ खास
रांची : आज महाराणा प्रताप का जन्मदिन है. महाराणा प्रताप को भारतीय इतिहास में अद्वितीय वीर, पराक्रमी व साहसी शासक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने जीवन पर्यंत मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ संघर्ष किया. महाराणा प्रताप की आज जयंती है. उनकी जयंती पर उन्हें झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने याद किया […]
रांची : आज महाराणा प्रताप का जन्मदिन है. महाराणा प्रताप को भारतीय इतिहास में अद्वितीय वीर, पराक्रमी व साहसी शासक के रूप में याद किया जाता है, जिन्होंने जीवन पर्यंत मुगल बादशाह अकबर के खिलाफ संघर्ष किया. महाराणा प्रताप की आज जयंती है. उनकी जयंती पर उन्हें झारखंड के मुख्यमंत्री रघुवर दास ने याद किया है. रघुवर दास ने ट्विटर पर लिखा है वीरता के कई उदाहरण हैं किंतु महाराणा प्रताप जैसा श्रेष्ठ उदाहरण शायद ही होगा. एक राष्ट्र के रूप में उन्हें याद करना एक गौरवशाली अनुभूति है.
वीरता के कई उदाहरण हैं किन्तु महाराणा प्रताप जैसा श्रेष्ठ उदाहरण शायद ही होगा। एक राष्ट्र के रूप में उन्हें याद करना एक गौरवशाली अनुभूति है। pic.twitter.com/3a7a3lwvvr
— Raghubar Das (@dasraghubar) May 9, 2017
महाराणा प्रताप का जन्म ज्येष्ठ शुक्ल तृतीय, दिन रविवार, विक्रम संवत 1517 यानी नौ मई 1540 को हुआ था. शिकार के दौरान घायल होने से उत्पन्न जख्म के कारण उनकी मृत्यु 19 जनवरी 1597 को हुई. वे मेवाड़ के शिशोदिया राजवंश के राजा थे और उनके राज्य की राजधानी उदयपुर थी जो उनके पिता के नाम पर बसा था.
उनका जन्म राजस्थान के कुंभलगढ़ के महारणा उदय सिंह एवं माता राणी जीवत कंवर के घर हुआ था. 1576 में हल्दीघाटी के युद्ध में उन्होंने 20 हजार राजपूत सेना के साथ मुगल सरदार राजा मानसिंह की 80 हजार सैनिकों से लड़ाई लड़ी. केवल एक दिन लड़े गये इस युद्ध में 17 हजार लोग मारे गये. महाराणा प्रताप व मुगल सेना के बीच जो भी युद्ध हुए उसमें किसी की जीत व हार नहीं हुई, लेकिन इन संघर्षों ने मुगल सम्राट अकबर का भी आश्चर्य में इसलिए डाल दिया, क्योंकि उनकी विशाल सेना का मुकाबला महाराणा ने छोटी-सी सेना से की और बराबरी की टक्कर दी. युद्ध के दौरान प्रसिद्ध व्यापारी भामा शाह ने उन्हें आर्थिक सहायता दी, इसलिए वे भी इतिहास में अमर हो गये.
महाराणा प्रताप 81 किलो के भाला से युद्ध लड़ते थे. उनकी छाती पर लगाये जाने वाले कवच का वजन 72 किलो था. भाला, कवच, ढाल व तलवार के साथ वे कुल 208 किलो वजन लेकर युद्ध लड़ते थे.