स्टेशन से पैदल ही घर चल दिये मंत्री, रास्ते में कचरा देख बिफरे, नहीं होती सफाई और जनता मुझे गाली देती है
रांची: मंत्री सीपी सिंह बुधवार सुबह पाटलीपुत्र ट्रेन से रांची रेलवे स्टेशन में उतरे. उन्होंने अपनी गाड़ी को वापस भेज दिया कि और कहा कि आज पैदल ही मॉर्निंग वॉक करते हुए घर जाऊंगा. रेलवे स्टेशन से उनके घर की दूरी लगभग चार किमी है. मंत्री ओवरब्रिज, सुजाता चौक, मेन रोड अलबर्ट एक्का चौक, शहीद […]
रांची: मंत्री सीपी सिंह बुधवार सुबह पाटलीपुत्र ट्रेन से रांची रेलवे स्टेशन में उतरे. उन्होंने अपनी गाड़ी को वापस भेज दिया कि और कहा कि आज पैदल ही मॉर्निंग वॉक करते हुए घर जाऊंगा. रेलवे स्टेशन से उनके घर की दूरी लगभग चार किमी है. मंत्री ओवरब्रिज, सुजाता चौक, मेन रोड अलबर्ट एक्का चौक, शहीद चौक, कचहरी रोड होते हुए अपने आवास तक गये. इस दौरान उन्होंने स्टेशन रोड और मेन रोड में कचरे से भरे डस्टबिन देखे. सड़क पर जहां-तहां गंदगी का ढेर भी नजर आ रहा था. घर पहुंचते ही उन्होंने नगर आयुक्त को मोबाइल में लंबा संदेश भेजा. मंत्री के इस संदेश से नगर निगम ने हड़कंप मच गया. मंत्री के इस संदेश के बाद नगर आयुक्त प्रशांत कुमार ने हेल्थ अफसर डॉ किरण से 24 घंटे के अंदर साफ-सफाई पर जवाब मांगा है.
स्वच्छ सर्वेक्षण में रांची को मिला 117वां स्थान
गौरतलब है कि केंद्र सरकार द्वारा हाल ही में रांची को सफाई के मामले में 117वां रैंक दिया था. इस वजह से नगर विकास मंत्री की आलोचना भी हो रही थी. वहीं, झारखंड के ही चास सहित गिरिडीह, हजारीबाग व अन्य शहरों की रैंकिंग इस प्रतियोगिता में बेहतर रही. रांची नगर निगम को इस प्रतियोगिता में पीछे ढकेलने में शहर की साफ सफाई करने वाली कंपनी रांची एमएस डब्ल्यू का भी महत्वपूर्ण योगदान रहा.
20 वार्डों में ही सफाई कर रही है रांची एमएसडब्ल्यू
रांची एमएसडब्ल्यू ने दो अक्तूबर को तो बड़े ही तामझाम के साथ शहर की सफाई व्यवस्था अपने हाथों में ली थी. बाद में सब धीरे-धीरे टांय-टांय फिस्स हो गया. शुरुआती दिनों में कंपनी के वाहन प्रतिदिन गली-मोहल्ले में हूटर बजाते हुए घूमते थे. अब तो इन वाहनों के दर्शन तक दुर्लभ हो गये. कंपनी ने जनवरी 2017 से शहर के 55 वार्डों में सफाई व्यवस्था बहाल करने का वादा किया था, लेकिन अभी तक कंपनी का कामकाज केवल 20 वार्डों तक ही पहुंचा है.
हर माह ढाई करोड़ खर्च होते हैं साफ-सफाई पर
राजधानी रांची की साफ-सफाई पर हर माह 2.5 करोड़ रुपये खर्च होते हैं. यह खर्च बारिश में बढ़ जाता है. रांची एमएसडब्ल्यू 20 वार्ड की सफाई का काम देखती है, जबकि शेष 35 वार्ड नगर निगम के जिम्मे हैं. नगर निगम के पास 21 सौ सफाई कर्मचारी हैं, वहीं रांची एमएसडब्ल्यू के 450 कर्मचारी सफाई कार्य में लगाये गये हैं.
क्या लिखा है मंत्री ने
आज दिनांक 10 मई 2017 को सुबह पांच बजे मैं पाटलिपुत्र एक्सप्रेस से उतरकर पैदल-पैदल स्टेशन से डिप्टी पाड़ा आवास तक आया. रास्ते में मेन रोड, कचहरी रोड, एवं और भी जगह-जगह पर कूड़े का ढेर एवं यत्र-तत्र कूड़ा बिखरा पड़ा हुआ था. देखने से लगा की रात्रि में सफाई का कार्य नहीं हुआ है. शास्त्री मार्केट के पास पूछा, तो पता चला कि रात्रि में सफाई का कार्य नहीं हुआ है. क्या रात्रि में सफाई का कार्य बंद हो गया है? कुछ माह पूर्व भी यही स्थिति थी, जिस की जानकारी मैंने आपको दी थी. जनता, मंत्री के नाते मुझे एवं सरकार को गाली देती है. रांची नगर निगम सिर्फ टैक्स वसूलने की संस्था बन गयी है… यही स्थिति अन्य योजनाओं की भी है… लगता है किसी के ऊपर जिम्मेवारी नहीं है… क्या ऐसे ही चलता रहेगा? समाधान कैसे होगा मुझे बतायें. ताकि सरकार त्वरित कार्रवाई करेगी. मैं कुछ तस्वीरें और वीडियो आपको भेज रहा हूं, ताकि आप हकीकत से रूबरू हो पायें.