नियम स्पष्ट नहीं होने से जनता परेशान, धनबाद में माडा को टैक्स दें या निगम को, स्पष्ट नहीं

रांची: धनबाद में नगर निगम और माइंस एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी(माडा) के क्षेत्र को लेकर विवाद चल रहा है. धनबाद नगर निगम क्षेत्र में भी माडा के कई काम होते हैं, जिसके कारण अकसर विवाद होता है. झरिया, कतरास व करकेंद के लोग परेशान हैं कि नगर निगम भी टैक्स मांगता और माडा भी टैक्स मांगता […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 13, 2017 7:11 AM
रांची: धनबाद में नगर निगम और माइंस एरिया डेवलपमेंट अथॉरिटी(माडा) के क्षेत्र को लेकर विवाद चल रहा है. धनबाद नगर निगम क्षेत्र में भी माडा के कई काम होते हैं, जिसके कारण अकसर विवाद होता है. झरिया, कतरास व करकेंद के लोग परेशान हैं कि नगर निगम भी टैक्स मांगता और माडा भी टैक्स मांगता है. एक ही शहर में दोनों के होने से कई जगह विवाद की स्थित पैदा हो जाती है.
मेयर ने लिखा पत्र
इधर क्षेत्र विवाद को लेकर धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने मुख्य सचिव राजबाला वर्मा को 24 अप्रैल 2017 को पत्र लिख कर माडा को समाप्त करने की मांग की है. उन्होंने लिखा है कि झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 615 की उपधारा चार स्पष्ट रूप से कहा गया है कि खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार संबंद्ध नगर निकाय अर्थात धनबाद नगर निगम में समाहित हो चुका है. अधिनियम की धारा 615 की उपधारा 6(ज) में यह भी स्पष्ट रूप से अंकित है कि खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार द्वारा वसूली जानेवाली लेवी शुल्क, सेस आदि के रूप में आय के विभिन्न स्त्रोतों की वसूली का अधिकार संबंधित नगरपालिका को होगा. मेयर ने अधिनियम का हवाला देते हुए इस धारा को लागू करने की मांग की है.
क्या है विभाग का जवाब
इधर, मेयर के पत्र के बाद नगर विकास विभाग की उपसचिव मनीषा जोसेफ तिग्गा ने जवाब दिया है कि झारखंड नगरपालिका संशोधन अधिनियम 2015 विधि(विधान) विभाग झारखंड रांची द्वारा गजट अधिसूचना दिनांक 22.1.2016 को जारी की गयी है. जिसके अनुसार खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार जो खनिज क्षेत्र विकास प्राधिकार अधिनियम 1986 के तहत गठित है, पूर्व की भांति यथावत क्रियाशील रहेगा, मानो झारखंड नगरपालिका अधिनियम 2011 की धारा 615 अस्तित्व में आया ही न हो.
बताया गया कि सरकार के इसी आदेश का हवाला देते हुए माडा आज भी नगर निगम क्षेत्र में कार्यरत है. माडा द्वारा जलापूर्ति नगर निगम क्षेत्र में की जाती है. जलापूर्ति का कनेक्शन भी माडा द्वारा ही दिया जाता है. जिसमें प्रमुख रूप से विवाद उभर रहे हैं, वो है धनबाद, झरिया, कतरास और सिंदरी में नक्शा नगर निगम पास करेगा, जबकि झरिया, कतरास जैसे क्षेत्रों में माडा भी नक्शा के लिए आवेदन ले लेता है.
बाजार फीस पर भी विवाद
माडा की ओर से वसूली जा रही बाजार फीस पर भी विवाद है. इस पर निगम ने दावा किया है. निगम का कहना है कि अपने क्षेत्र में बाजार फीस की वसूली वही करेगा. एक्ट में भी इसका प्रावधान है. वहीं माडा का कहना है कि माडा एक्ट इसकी इजाजत नहीं देता. बाजार फीस की वसूली वही करेगा.धनबाद नगर निगम के एक अधिकारी द्वारा बताया गया कि धनबाद में पानी के कनेक्शन को लेकर अभी भी स्थिति स्पष्ट नहीं है. कनेक्शन माडा भी देता है, पेयजल विभाग भी और नगर निगम भी. कतरास, झरिया, केंदुआ व करकेंद में माडा ने कनेक्शन दे दिया. वहीं टैक्स की वसूली करने निगम पहुंच गया. जिसके कारण विवाद हुआ था.
क्या कहते हैं मेयर
धनबाद नगर निगम के मेयर चंद्रशेखर अग्रवाल ने कहा कि सरकार ने माडा के रहने संबंधी कब आदेश जारी किया, यह उन्हें पता भी नहीं. उन्होंने तो अधिनियम का हवाला देते हुए मांग की है कि नगर निगम को पूर्ण अधिकार मिलना चाहिए, ताकि जनता को परेशानी न हो. यह तो सरकार को देखना है कि क्या समाधान होगा.

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