खुले में शौच को विवश हैं आदिवासी टोला के लोग

बदहाली. राजधानी में धराशायी हो रहा राज्य को खुले में शौच से मुक्त बनाने का सपना रांची : राज्य को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने का सरकार का सपना रांची के आदिवासी टोला में आकर धराशायी हो जाता है. यहां के लोग अपने घरों में शौचालय नहीं रहने से परेशान हैं. ‘प्रभात खबर […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 15, 2017 6:57 AM
बदहाली. राजधानी में धराशायी हो रहा राज्य को खुले में शौच से मुक्त बनाने का सपना
रांची : राज्य को खुले में शौच से मुक्त (ओडीएफ) बनाने का सरकार का सपना रांची के आदिवासी टोला में आकर धराशायी हो जाता है. यहां के लोग अपने घरों में शौचालय नहीं रहने से परेशान हैं. ‘प्रभात खबर आपके द्वार’ की टीम रविवार को यहां पहुंची, तो लोगों ने बताया कि हिनू के मनिटोला के इस मुहल्ले में दो सुलभ शौचालय हैं.
इसके बावजूद टोले के लोग उनका इस्तेमाल इसलिए नहीं करते, क्योंकि वहां पैसे लगते हैं.आदिवासी टोले में करीब 60 से अधिक कच्चे मकान हैं, जिसमें 1000 लोग रहते हैं. इनमें से अधिकतर लोग खुले में शौच जाने को के मजबूर हैं. लोगों ने बताया कि वार्ड पार्षद की तरफ से आवास योजना और व्यक्तिगत शौचालय बनवाने के लिए अब तक कोई पहल नहीं की गयी है. आवास योजना की लालसा में कई लोगों ने अपने मकान भी तुड़वा दिये, लेकिन सुविधा के नाम पर न तो सरकारी अनुदान मिला और न ही लाभुकों से कोई फाॅर्म भरवाया गया.
बॉर्डर पर होने की पीड़ा
आदिवासी टोला वार्ड नंबर 52 और 45 के बॉर्डर पर है, जहां अधिकतर घर जनजातीय लोग रहते हैं. ये लोग दिहाड़ी मजदूरी, नगर निगम के अस्थायी सफाई कर्मी के रूप में काम करते हैं. मुहल्ले में एक चर्च है, जहां वर्षों से किसी ने स्ट्रीट लाइट नहीं लगवायी है. स्थानीय विधायक नवीन जायसवाल ने स्ट्रीट लाइट लगाने का वादा किया था, जो अब तक पूरा नहीं हो पाया. यहां की महिलाएं नये राशन कार्ड से परेशान हैं. अधिकतर के पास लाल कार्ड है, जिसमें सिर्फ परिवार के मुखिया का ही नाम है.
पानी की किल्लत भी है
टोले में चार सरकारी चापाकल हैं, जिनमें से दो खराब हैं. टोले में एक चबूतरा है, जहां रामनवमी, सरहूल, करमा जैसे पर्व मनाये जाते हैं. पर चबूतरे के पास न तो पीने के पानी की व्यवस्था है और न ही किसी प्रकार का कंक्रीट चबूतरा यहां पर बनाया गया है. गरमी और अन्य मौसमों में यहां के लोगों को पीने के पानी की किल्लत झेलनी पड़ती है. शादी-ब्याह में नगर निगम के टैंकरों पर निर्भरता अधिक बढ़ जाती है. हालांकि मुहल्ले में साफ-सफाई नियमित रूप से होती है.

Next Article

Exit mobile version