कुंदन पाहन मामला : पुलिसकर्मियों की तीखी प्रतिक्रिया – शहीद होना पसंद, हत्यारे को फूल देना मंजूर नहीं

रांची: कुंदन पाहन का भव्य समारोह में सरेंडर कराने पर पुलिसकर्मियों में आक्रोश है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि कुंदन पाहन को जिस तरह से सरेंडर कराया गया, नेताओं की तरह उसे भाषण देने की छूट दी गयी, वह गलत है. सिपाही व हवलदार संवर्ग के पुलिसकर्मी इसे लेकर एक वाट्स एप ग्रुप पर अपनी […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 16, 2017 8:01 AM

रांची: कुंदन पाहन का भव्य समारोह में सरेंडर कराने पर पुलिसकर्मियों में आक्रोश है. पुलिसकर्मियों का कहना है कि कुंदन पाहन को जिस तरह से सरेंडर कराया गया, नेताओं की तरह उसे भाषण देने की छूट दी गयी, वह गलत है. सिपाही व हवलदार संवर्ग के पुलिसकर्मी इसे लेकर एक वाट्स एप ग्रुप पर अपनी प्रतिक्रिया दे रहे हैं. ग्रुप में 250 से अधिक सिपाही व हवलदार जुड़े हैं. ये सरकार और पुलिस के बड़े अधिकारियों के खिलाफ ग्रुप में ही बयान जारी कर रहे हैं. कुछ पुलिसकर्मी हाइकोर्ट में वकील रख कर इसका विरोध करने की बात कह रहे हैं.

एसोसिएशन के पदाधिकारियों से विरोध स्वरूप एक दिन काला बिल्ला लगा कर काम करने का अनुरोध किया है. झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन ने भी इसका विरोध किया है. एसोसिएशन के उपाध्यक्ष राकेश पांडेय ने कहा है कि हमें देश व राज्य हित में शहीद होना पसंद है. लेकिन पुलिसकर्मियों व आम जनता के हत्यारे को फूल देना पसंद नहीं.

झारखंड पुलिस एसोसिएशन के अध्यक्ष का कहना है कि यह शहादत का अपमान है. दुर्दांत नक्सली को महिमामंडित करने जैसी किसी भी घटना का विरोध करेंगे. वाट्स एप ग्रुप पर पुलिसकर्मियों के कैसे-कैसे मैसेज (यहां हम सिर्फ पुलिसकर्मियों के पोस्ट किये गये मैसेज ही लिख रहे हैं, उनका नाम प्रकाशित नहीं किया जा रहा है)नक्सली जवानों की हत्या कर रहे हैं और हमारे जन प्रतिनिधि और कुछ उच्च अधिकारी उन्हें संरक्षण दे रहे हैं.

पुलिसकर्मियों की मां की गोद सुनी करनेवाला, पत्नियों की मांग सुनी करनेवाला, मासूमों के सिर से पिता का साया छीननेवाले हत्यारे को फूलों की माला देकर अधिकारी गौरवान्वित महसूस कर रहे हैं. ऐसे अधिकारियों को चुल्लू भर पानी में डूब मरना चाहिए.सरकार प्रेरित कर रही है कि अब कोई जवान किसी नेता का अंगरक्षक न बने. अब ये काम इनके लिए नक्सली ही करेंगे.शहीदों के परिवार के साथ अन्याय हो रहा है. ऐसा लग रहा है कि आनेवाले दिनों में नक्सलियों को सरेंडर करने के बाद पुलिस महकमा में बड़ा पद देने का प्रावधान न ला दे सरकार.हत्यारा, लुटेरा, डकैत, बलात्कारी, देश का सबसे बड़ा अपराधी, कानून को धता बतानेवाला अपराधी, देशद्रोही को इनाम देना बड़े दुःख और शर्म की बात है. नक्सलियों से ज्यादा खतरनाक ये आला अधिकारी हैं, तो अपनी पीठ थपथपाने और पदक पाने के लिए पुलिसकर्मियों की कुर्बानी भूल जाते हैं.
हमें देश व राज्य हित में लड़ कर शहीद होना पसंद है. लेकिन पुलिसकर्मियों व आम जनता के हत्यारे को फूल देना पसंद नहीं.
राकेश पांडेय, उपाध्यक्ष, झारखंड पुलिस मेंस एसोसिएशन

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