कल्याण विभाग का फैसला, अब दूसरी से चौथी कक्षा की छात्रवृत्ति भी डीबीटी से

रांची: कल्याण विभाग ने निर्णय लिया है कि अब सरकारी स्कूलों की दूसरी से चौथी कक्षा तक के बच्चों को भी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान होगा. पर पहली कक्षा के बच्चों का खाता खुलवाने में परेशानी के कारण इनको पहले की तरह ही नकद भुगतान किया जायेगा. […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 20, 2017 7:20 AM

रांची: कल्याण विभाग ने निर्णय लिया है कि अब सरकारी स्कूलों की दूसरी से चौथी कक्षा तक के बच्चों को भी डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर (डीबीटी) के माध्यम से प्री मैट्रिक छात्रवृत्ति का भुगतान होगा. पर पहली कक्षा के बच्चों का खाता खुलवाने में परेशानी के कारण इनको पहले की तरह ही नकद भुगतान किया जायेगा. यह फैसला इसी वर्ष से लागू होना है. डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर के माध्यम से भुगतान में हो रही बचत तथा इसमें पारदर्शिता से उत्साहित होकर विभाग ने यह निर्णय लिया है.


राज्य भर के सरकारी स्कूलों की इन तीन (दूसरी से चौथी) कक्षाअों में करीब 18 लाख बच्चे पढ़ते हैं. इन सबको अब उनके खाते में सीधे भुगतान किया जायेगा. अब तक इन्हें छात्रवृत्ति की रकम ग्राम शिक्षा समिति के माध्यम से दी जाती थी. इससे पहले विभाग ने पांचवीं से 10वीं कक्षा तक के बच्चों को डीबीटी से भुगतान का निर्णय लिया था, जो गत वर्ष से लागू है. विभाग का आकलन है कि सिर्फ पांचवीं व छठी कक्षा के फरजी बच्चों का भुगतान रुकने से सरकार को करीब 22 करोड़ रुपये की बचत हुई है. सातवीं से दसवीं तक के बचत का आकलन अभी किया जा रहा है.

गौरतलब है कि छात्रवृत्ति की अॉनलाइन प्रक्रिया तथा विभागीय सतर्कता से कल्याण विभाग की छात्रवृत्ति योजना में अब तक होती रही गड़बड़ियों पर प्रभावी रोक लगी है. पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति के तहत कॉलेजों की मॉनिटरिंग, किसी भी सूरत में अॉफलाइन आवेदन या विभिन्न प्रमाण पत्र स्वीकृत न करने तथा मुख्यालय स्तर से जिलों की हो रही मॉनिटरिंग के कारण छात्रवृत्ति के करीब 15,536 गलत या फरजी आवेदन पकड़ में आये तथा उन्हें खारिज (रिजेक्ट) कर दिया गया.

इससे पहले विभिन्न स्तरों पर 26,564 विद्यार्थियों के आवेदनों को पहले ही अयोग्य घोषित कर दिया गया था. इस तरह कुल 42,100 आवेदन अयोग्य पाये गये या उन्हें रिजेक्ट कर दिया गया. कल्याण विभाग के अधिकारियों का दावा है कि ज्यादा सतर्क होकर तथा छात्रवृत्ति की अॉनलाइन प्रक्रिया के कारण सरकार को पोस्ट मैट्रिक छात्रवृत्ति मद में करीब सवा सौ करोड़ की बचत हुई है, जो गलत या फरजी आवेदकों को चिह्नित न कर पाने से खर्च होती.

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