धरती-आकाश में तालमेल बिठाती जैव विविधता

डॉ हेम श्रीवास्तव माटी में हल्की सी जान हो, तो घास स्वत: फैलने लगती है. ओजोन छत्र के अलावा धरती का इतना सुदृढ़ आवरण और हो कौन सकता है! कितने ही सारे इसके काम हैं-सर्वप्रथम, तीखी किरणों से पहली परत की मिट्टी की रक्षा न हो, तो कड़ी धूप के प्रहार से मिट्टी में कितने […]

By Prabhat Khabar Digital Desk | May 22, 2017 7:51 AM
डॉ हेम श्रीवास्तव
माटी में हल्की सी जान हो, तो घास स्वत: फैलने लगती है. ओजोन छत्र के अलावा धरती का इतना सुदृढ़ आवरण और हो कौन सकता है! कितने ही सारे इसके काम हैं-सर्वप्रथम, तीखी किरणों से पहली परत की मिट्टी की रक्षा न हो, तो कड़ी धूप के प्रहार से मिट्टी में कितने ही रासायनिक परिवर्तन हो जाते. तब मिट्टी जीव-जंतुअों का बोझ नहीं उठा पाती.
मिट्टी इतनी अधिक सूख कर कड़ी हो जाती कि अंकुर निकलने से लेकर जमीन के अंदर जड़ों के फैलने-बढ़ने की प्रक्रिया भी रुक जाती. मिट्टी को एक हिसाब से ही धूप चाहिए. यह कम हो, तो कीड़ों-फफूंदों से भर जायेगी और अधिक हो, तो जरूरत-भर फफूंदियां नहीं रहेंगी. इसके बाद पूरे वातावरण में नमी के चक्र को वनस्पतियां ही संभालती हैं. ट्रांस्पिरेशन की क्रिया से जहां हवा में नमी भरती है, वहीं मिट्टी के माध्यम से भूजल के उड़ने को एक हद तक रोकती है. अगर जमीन हरी-भरी रहे, तो तालाब से लेकर कुएं तक संभले रहें. अगर बाढ़ भी अाये, तो उससे नुकसान कम-से-कम होगा.
लोकल वार्मिंग तथा ग्लोबल वार्मिंग भी संतुलन की अोर बढ़ेंगी और खाद्यान्न का उत्पादन भी संतुलित होगा. धरातल हरा-भरा रहे, तो शायद ही ग्रीन-हाउस प्रभाव देखने को मिले. आजकल विश्वव्यापी अांधियों की शृंखला चल पड़ी है. इनका पूर्वानुमान और इनसे होनेवाली क्षति, दोनों का ही आकलन कठिन है. अमेरिका और यूरोप से भारत तक कई उजाड़नेवाली आंधियां चलती रहती हैं. वन अगर घटे नहीं होते, तो तूफानों में इतना वेग कहां से आता.
उनकी दिशा और गति दोनों को जंगल छितरा देते. वनस्पतियों को बढ़ाने में और प्रकृति की रक्षा करने में चिड़ियों का अपना स्थान है. इनके रहने से धरती और आसमान के बीच एक संवाद स्थापित होता है. छोटे जीव-जंतुओं तथा बीजों-फलों का डिस्पर्शन होता है, जो जैव-विविधता के लिए जरूरी है. संक्षेप में, पेड़ और पक्षी दोनों ही एडाप्टेशन (अनुकूलन) के लिए विकल्प तैयार करते हैं. वन ही नहीं, पक्षियों की रक्षा भी उतनी ही जरूरी है.
(लेखिका पर्यावरणविद व प्रदूषण नियंत्रण पर्षद की सदस्य हैं)

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