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सूखी नदियों में मछली बीज तैयार कर अच्छी कमाई कर रहे किसान
मनोज सिंह रांची : मत्स्य विभाग नक्सल प्रभावित जिलों के किसानों को सूखी नदियों से कमाई करा रहा है. भीषण गरमी में भी किसानों को रोजगार मिल रहा है. किसान सूखी नदियों में मछली का बीज तैयार कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें बहुत मेहनत भी नहीं करनी पड़ रही है. नक्सल प्रभावित लातेहार के […]
मनोज सिंह
रांची : मत्स्य विभाग नक्सल प्रभावित जिलों के किसानों को सूखी नदियों से कमाई करा रहा है. भीषण गरमी में भी किसानों को रोजगार मिल रहा है. किसान सूखी नदियों में मछली का बीज तैयार कर रहे हैं. इसके लिए उन्हें बहुत मेहनत भी नहीं करनी पड़ रही है. नक्सल प्रभावित लातेहार के गारू, बालूमाथ, सरयू, सीरीगढ़ा, मनिका व लातेहार के साथ-साथ कई इलाकों में यह काम हो रहा है. करीब 70 स्थानों पर मत्स्य विभाग यह काम करा रहा है. मत्स्य विभाग की इस योजना से करीब दो हजार किसानों को जोड़ने की जरूरत है. यह काम पलामू के सरयू और कोयल नदी में हो रहा है.
क्या है स्कीम
मत्स्य विभाग किसानों के सहयोग से सूखी नदियों में मशीन से 30 से 35 फीट गुना 18 फीट तथा तीन फीट गहरा खुदाई कराता है. इसमें पानी निकल आता है. इसमें मछली का तीन दिन पुराना बीज डाल दिया जाता है. मछली को खाने के लिए अमृत जीवा दिया जाता है.
इसे 100 लीटर पानी में 20 किलो गोबर, 10 किलो गो मूत्र, एक किलो बेसन और एक किलो गुड़ से तैयार किया जाता है. इसे दो दिन धूप में रख दिया जाता है. तीन दिन के बाद इसे नदी के पानी में डाल दिया जाता है. 11 दिन में मछली का उपयोग लायक बीज तैयार हो जाता है. इसकी बिक्री किसान कर सकते हैं. बरसात से पहले इसकी खूब मांग होती है. विशेष रूप से पलामू व चतरा में तैयार होनेवाली मछली के इस बीज की मांग बिहार के सटे जिले में काफी है.
एक गड्डे में 20 लाख बीज डाला जाता है : एक खुदाई वाले अस्थायी गड्ढे में 20 लाख से अधिक मछली का बीज डाला जाता है. इसकी उत्तरजीविता करीब 50 फीसदी है. करीब 12 लाख मछली बीज (फ्राइ) तैयार हो जाता है. इसकी कीमत 10 से 15 पैसे प्रति बीज है. एक किसान छोटे से अस्थायी तालाब से करीब एक लाख रुपये की कमाई कर सकते हैं. किसानों को तीन दिन का मछली बीज मत्स्य विभाग मुफ्त में उपलब्ध करा रहा है.
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