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विद्यार्थियों को मिलेगा यूनिक आइडी नंबर
आइसीएआर की उच्च स्तरीय समीक्षा टीम पहुंची बिरसा कृषि विश्वविद्यालय रांची : अब उच्च कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेनेवाले प्रत्येक विद्यार्थी को यूनिक आइडी नंबर दिये जायेंगे, जिसमें उनसे संबंधित सारी सूचनाएं उपलब्ध रहेंगी. पूरी पढ़ाई से लेकर नौकरी करने तक यह आइडी काम करेगा. उक्त जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के […]
आइसीएआर की उच्च स्तरीय समीक्षा टीम पहुंची बिरसा कृषि विश्वविद्यालय
रांची : अब उच्च कृषि शिक्षा के पाठ्यक्रमों में प्रवेश लेनेवाले प्रत्येक विद्यार्थी को यूनिक आइडी नंबर दिये जायेंगे, जिसमें उनसे संबंधित सारी सूचनाएं उपलब्ध रहेंगी. पूरी पढ़ाई से लेकर नौकरी करने तक यह आइडी काम करेगा. उक्त जानकारी भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (आइसीएआर) के अधिकारियों गुरुवार को बीएयू में समीक्षा बैठक के दौरान कही. मालूम हो कि आइसीएआर की टीम दो दिवसीय दौरे पर बीएयू आयी है.
उक्त टीम में समिति के अध्यक्ष, हिमाचल प्रदेश कृषि विवि, पालमपुर के पूर्व कुलपति डॉ एसके शर्मा हैं. उन्होंने बीएयू के वरीय पदाधिकारियों व विभागाध्यक्षों से कहा कि कृषि विवि के सुदृढ़ीकरण और विकास के लिए पिछले पांच वर्षों में जो अनुदान दिये गये हैं, उसकी केंद्र सरकार और प्रधानमंत्री कार्यालय के निर्देश पर समीक्षा की जा रही है. बीएयू को पिछले पांच वर्षों में शिक्षा प्रभाग से 37़ 69 करोड़ रुपये प्राप्त हुए, जिसमें विवि संग्रहालय, अंतरराष्ट्रीय छात्रावास, पुस्तकालय तथा नौ ज्ञान इकाइयों का निर्माण कराना है.
अध्यक्ष ने कहा कि समिति देखेगी कि सुविधाओं का उपयोग किस प्रकार बेहतरी के लिए किया जा रहा है. अब विवि के प्रदर्शन के आधार पर ही यह अनुदान मिलेगा, जिसके लिए टीम भावना से काम करने की जरूरत है. समिति के सदस्य सचिव तथा आइसीएआर के सहायक महानिदेशक (शैक्षिक नियोजन एवं गृह विज्ञान) डॉ पीएस पांडेय ने कहा विकास अनुदान के लिए पूर्ण मार्गदर्शिका अब अाइसीएआर की वेबसाइट पर उपलब्ध है, जिसमें विवि से ऑनलाइन प्रस्ताव 31 मई 2017 तक आमंत्रित किये गये हैं. विलंब होने पर फिर अगले वर्ष ही प्रस्ताव स्वीकार किये जायेंगे.
डॉ पांडेय ने कहा कि बीएयू देश का एकमात्र कृषि विवि है, जो जनजातीय बहुल जिलों में स्थित है, इसलिए जनजातीय उप योजना के तहत अाइसीएआर से अधिकाधिक अनुदान प्राप्त करने के लिए इसे ठोस प्रस्ताव समर्पित करना चाहिए. पांच जनजातीय बहुल गांवों को चयन कर उन्हें अग्रणी आदर्श गांव के रूप में विकसित करना चाहिए. समिति के सदस्य व आइसीएआर के अवकाश प्राप्त सहायक महानिदेशक डॉ एचएस नैनावती तथा भारतीय पशुचिकित्सा अनुसंधान संस्थान, बरेली के क्षेत्रीय केंद्र, कोलकाता के प्रभारी डॉ शुभाशीष बंद्योपाध्याय ने भी विकास अनुदान के बेहतर तथा परिणाम-आधारित उपयोग के लिए महत्वपूर्ण सुझाव दिये.
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