अमन तिवारी, रांची : एंटी टेररिस्ट स्क्वायड (एटीएस) के तत्कालीन एसपी शैलेंद्र वर्णवाल के आदेश पर दो युवकों को पकड़ कर उनके खिलाफ आर्म्स एक्ट की झूठी प्राथमिकी सदर थाना में दर्ज करायी गयी थी. जांच के दौरान एटीएस के डीएसपी अवध कुमार यादव द्वारा पुलिस अधिकारियों के समक्ष दिये गये बयान से इसका खुलासा हुआ है. श्री यादव के अनुसार, वे इस मामले में शिकायतकर्ता नहीं बनना चाहते थे. एटीएस एसपी के समक्ष उन्होंने विरोध भी दर्ज कराया था. पूरे मामले की जानकारी इंस्पेक्टर ब्रह्मदेव प्रसाद को भी थी.
हालांकि, बाद में एटीएस एसपी के कहने पर श्री यादव ने आदिल अफरीदी और राकेश कुमार सिंह के खिलाफ चार जून को सदर थाने में आर्म्स एक्ट के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी थी. बाद में पुलिस ने दोनों युवकों को निर्दोष पाते हुए जमानत पर छोड़ दिया था. एटीएस के अधिकारियों के बयान और अन्य साक्ष्यों के आधार पर रांची रेंज के डीआइजी अखिलेश कुमार झा ने रिपोर्ट तैयार कर डीजीपी को भेज दी है.
जांच रिपोर्ट के अनुसार, इस मामले में एटीएस एसपी से लेकर इंस्पेक्टर ब्रह्मदेव प्रसाद तक की भूमिका संदिग्ध बताया गयी है. छापेमारी से लेकर कार्रवाई के दौरान भी एटीएस के अफसरों ने कई गड़बड़ियां की थीं. इसके अलावा हथियार के साथ दो युवकों के पकड़े जाने झूठे गवाह भी तैयार किये गये थे. हालांकि, पुलिस की जांच में दोनों गवाह मुकर गये.
डीआइजी द्वारा भेजी गयी रिपोर्ट के अनुसार, मामले में एटीएस डीएसपी दाऊद किड़ो का भी बयान लिया गया था. दाऊद ने अपने बयान में बताया है कि दिलावर (इंस्पेक्टर ब्रह्मदेव का पूर्व गुप्तचर) की सूचना पर एटीएस की टीम बूटी मोड़ स्थित वंशी उरांव के घर छापेमारी करने पहुंची थी.
यहां आदिल और राकेश के अलावा 10 और युवक भी पकड़े गये थे. जांच रिपोर्ट में इसका भी उल्लेख है कि दिलावर ने ही एटीएस के पदाधिकारियों को सिमी के संबंध में फर्जी सूचना दी और मो शब्बीर के जरिये घटनास्थल पर हथियार रखवा कर छापेमारी करवायी थी. उसने आदिल और राकेश को फंसाने के लिए ऐसा किया था. क्योंकि, दोनों ही जमीन के कारोबार में दिलावर के लिए रुकावट बन रहे थे और उनके 15 लाख रुपये दिलावर के पास बकाया थे.
छापेमारी से लेकर कार्रवाई तक में गड़बड़ी
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एटीएस ने सिमी के आतंकियों की सूचना मिलने पर समुचित सत्यापन के बिना छापेमारी की.
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घटनास्थल से 12 युवक मिले थे, लेकिन प्राथमिकी में उनका कोई उल्लेख नहीं किया गया.
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छापेमारी के संबंध में स्थानीय थाना या जिला पुलिस को पूर्व में कोई सूचना नहीं दी गयी थी.
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जब्ती सूची का समय 1:00 बजे दिखाया गया था, पर छापेमारी इसके पहले ही हो चुकी थी.
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आदिल की पहचान के लिए ब्रह्मदेव प्रसाद ही शब्बीर को लेकर घटनास्थल पर पहुंचे थे.
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आदिल ने हथियार रखनेवाले का मोबाइल नंबर दिया था, जिसका सत्यापन नहीं किया गया.
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रांची रेंज के डीआइजी की ओर से डीजीपी को भेजी गयी जांच रिपोर्ट से हुआ खुलासा
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एटीएस के डीएसपी नहीं बनना चाहते थे शिकायतकर्ता, दबाव में दर्ज करायी प्राथमिकी
एटीएस एसपी ने नहीं उठाया फोन : इस मामले में एसपी शैलेंद्र वर्णवाल से पक्ष लेने के लिए प्रभात खबर संवाददाता ने उनके मोबाइल नंबर पर संपर्क किया. साथ ही उन्हें व्हाट्सएेप संदेश भी भेजा, लेकिन उन्होंने न तो फोन उठाया और न ही व्हाट्सऐप पर कोई जवाब दिया.
Post by : Pritish Sahay