दुमका : दुमका विधानसभा उपचुनाव में चुनाव प्रचार का शोर थमने से पूर्व रविवार को मुख्यमंत्री सह झामुमो के कार्यकारी अध्यक्ष हेमंत सोरेन ने भाजपा की पूर्व की सरकार को एक बार फिर घेरा. खिजुरिया स्थित आवास पर पत्रकारों से बात करते हुए उन्होंने कहा कि झारखंड में रघुवर सरकार के कार्यकाल में छात्रवृत्ति घोटाला हुआ था.
दिल्ली के अखबारों में इसे प्रमुखता से प्रकाशित किया गया है. मुख्यमंत्री अपने साथ अंग्रेजी अखबार की फाेटोकाॅपी भी लेकर आये थे. उन्होंने कहा : डीबीटी (डायरेक्ट बेनिफिट ट्रांसफर) में बड़े पैमाने पर बच्चों की छात्रवृत्ति मारी गयी है. यह अनियमितता बड़े पैमाने पर हुई है. यह घोटाला उनके कार्यकाल में हुआ है, जो यहां (दुमका) से मंत्री थीं. उन्हीं के विभाग का यह घोटाला है. मुख्यमंत्री ने कहा कि आदिवासी, अल्पसंख्यक और पिछड़ों का अधिकार इन लोगों ने किस तरह से लूटा है, इसका यह उदाहरण है.
मुख्य सचिव के संज्ञान में यह मामला आया है, जिसकी जांच होगी. उन्होंने सवाल किया कि क्या ऐसे लोगों को जनता जितायेगी, जो आदिवासियों, पिछड़ों व दलितों का अधिकार मारता हो. उन्होंने कहा कि बच्चों की छात्रवृत्ति का यह घोटाला बहुत लंबा चौड़ा है. करोड़ों का है. घोटाला किस तरह से हुआ है, किस तरीके से इसे लूटा गया है, इसे लेकर जांच होगी.
मुख्यमंत्री ने इंडस्ट्रियल एरिया भी नोटिफाइड करने की बात कही. कहा : राज्य में युवाओं को रोजगार उपलब्ध कराने के लिए नीति रही है. रोजगार सृजन को लेकर कई योजनाएं शुरू की गयी है. अब हमारी कोशिश यही है कि राज्य में स्थापित निजी उद्योगों में 80% स्थानीय लोगों को नौकरी मिले. इसके लिए जल्द नीति बन जायेगी.
सरकार उद्योग लगाने के लिए भी पहल करेगी. उद्योगों के लिए जमीन चाहिए और जमीन कैसे उन्हें उपलब्ध करायी जाये, इस पर व्यापक सहमति बनानी जरूरी है. ग्राम सभाओं से कहा कि वे इस पर व्यापक विचार-विमर्श कर सरकार को सुझाव दें, ताकि उद्योगों को भी जमीन मिल सके और रैयतों को भी किसी तरह का कोई नुकसान नहीं हो.
मीडिया में आयी रिपोर्ट में बताया गया है कि राज्य के अल्पसंख्यक छात्रों को मिलनेवाली प्री-मैट्रिक छात्रवृत्ति वितरण में बड़ा घोटाला हुआ है. डीबीटी के तहत छात्रों के खाते में जानेवाली इस राशि का बड़ा हिस्सा सरकारी सिस्टम में बैठे लोगों ने बैंककर्मियों और बिचौलियों की मिलीभगत से हड़प लिया.
रिपोर्ट के अनुसार झारखंड में जब भाजपा की रघुवर सरकार थी, तब तत्कालीन मुख्य सचिव डीके तिवारी को केंद्रीय अल्पसंख्यक कल्याण सचिव ने पत्र लिखकर चेताया था कि छात्रवृत्ति वितरण में गड़बड़ियां हो रही है, इसे तत्काल रोकने के उपाय किये जाने चाहिए. लेकिन तब सरकार के उच्चाधिकारियों ने इसे गंभीरता से नहीं लिया और छात्रवृत्ति की बंदरबांट जारी रही.
posted by : sameer oraon