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बुजुर्ग पुलिस अफसरों के भरोसे चल रहा है झारखंड का भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो, आधे से ज्यादा पद खाली

एसीबी में एसपी के आठ पद हैं, लेकिन स्वीकृत पद के विरुद्ध वर्तमान में सिर्फ एक एसपी कार्यरत हैं. वह भी सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच चुके हैं. जानकारी के अनुसार, एसीबी में भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में गहन अनुसंधान की जरूरत होती है

राज्य में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई के लिए गठित भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) इन दिनों सिर्फ बुजुर्ग पुलिस अफसरों के भरोसे चल रहा है. इनमें से भी कई सेवानिवृत्ति के कगार पर पहुंच चुके हैं. दूसरी ओर एसीबी में इंस्पेक्टर से लेकर डीएसपी तक के पदाधिकारियों (जिनके पास केस और जांच की जिम्मेदारी होती है) के करीब 50 प्रतिशत पद खाली हैं. इस कारण काम में परेशानी हो रही है.

एसीबी में एसपी के आठ पद हैं, लेकिन स्वीकृत पद के विरुद्ध वर्तमान में सिर्फ एक एसपी कार्यरत हैं. वह भी सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच चुके हैं. जानकारी के अनुसार, एसीबी में भ्रष्टाचार से संबंधित मामले में गहन अनुसंधान की जरूरत होती है. इसलिए पदाधिकारियों को विशेष ट्रेनिंग दी जाती है. लेकिन, एसीबी में आमतौर पर वृद्ध या सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच चुके पुलिस अफसरों की पोस्टिंग कर दी जाती है. पोस्टिंग के बाद जब तक वे काम सीखते हैं, तब तक वे या तो सेवानिवृत्त हो जाते हैं या सेवानिवृत्ति के करीब पहुंच चुके होते हैं.

पुलिस मुख्यालय ने गृह विभाग के पास भेजा प्रस्ताव, लेकिन नहीं हुई पोस्टिंग :

एसीबी सहित पुलिस के अन्य विभाग में एसपी की कमी को लेकर पुलिस मुख्यालय ने भी 11 जुलाई 2023 को गृह विभाग के पास एक रिपोर्ट भेजी थी. रिपोर्ट में बताया गया था कि विशेष शाखा में एसपी के छह पद हैं. इनमें से वर्तमान में पांच रिक्त हैं. जबकि, सीआइडी में एसपी के चार पदों में से एक रिक्त है. इसके अलावा दूसरे स्थानों पर भी एसपी के पद रिक्त हैं. इसके कारण काम में परेशानी हो रही है. इसके बावजूद अब तक एसपी की पोस्टिंग नहीं की गयी है.

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