Manhart Scam Case Latest News In Jharkhand रांची : सिवरेज-ड्रेनेज निर्माण का डीपीआर तैयार करने के लिए मैनहर्ट परामर्शी की नियुक्ति में हुई अनियमितता और भ्रष्टाचार मामले में एसीबी ने गुरुवार की शाम तत्कालीन नगर विकास मंत्री सह पूर्व मुख्यमंत्री रघुवर दास को नोटिस भेज दिया है. इसके अलावा मामले में टेक्सटाइल मंत्रालय उद्योग भवन दिल्ली के एडिशनल सेक्रेटरी एवं फाइनेंशियल एडवाइजर शशि रंजन कुमार को भी नोटिस भेजा गया है.
नोटिस के जरिये दोनों को यह भी कहा गया है कि नोटिस प्राप्ति होने के एक सप्ताह के अंदर आप किसी भी कार्य दिवस में एसीबी में आकर अपना पक्ष रख सकते हैं. शशि रंजन तब परामर्शी के चयन के लिए गठित मुख्य समिति के सदस्य और उप समिति के अध्यक्ष थे. जानकारी के अनुसार, मामले को लेकर 31 जुलाई को पूर्व मंत्री व विधायक सरयू राय ने एसीबी के पास लिखित शिकायत की थी.
इसके बाद मामले में जांच की अनुमति के लिए एसीबी ने मामले को मंत्रिमंडल निगरानी विभाग के पास भेज दिया था. मामले में सरकार से जांच की अनुमति मिलने के बाद 15 नवंबर 2020 को एसीबी ने रघुवर दास सहित अन्य के खिलाफ प्रिलिमनरी इंक्वायरी दर्ज कर जांच शुरू की थी़ जांच के दौरान एसीबी ने कई बिंदुओं पर सबूत भी एकत्र किये हैं.
जानकारी के अनुसार, सरयू राय ने अपनी शिकायत में इस बात का उल्लेख किया था कि निविदा निष्पादन की प्रक्रिया में हर स्तर पर गड़बड़ी हुई थी. जिसके कारण सरकारी राजस्व में करोड़ों का नुकसान हुआ. निविदा अनावश्यक रूप से विश्व बैंक की क्यूबीएस पर आमंत्रित की गयी थी. ऐसा एक षड्यंत्र के तहत हुआ था. निविदा मूल्यांकन के दौरान यह भी पाया गया कि कोई भी निविदा की शर्त के अनुसार योग्य नहीं था.
इसलिए निविदा को रद्द कर नयी निविदा के लिए नगर विकास विभाग के सचिव ने प्रस्ताव दिया. लेकिन तत्कालीन मंत्री रघुवर दास ने इसे खारिज कर दिया. बाद में परिवर्तित शर्तों पर जब निविदा का मूल्यांकन हुआ, तब मैनहर्ट अयोग्य हो गया. बाद में इस कंपनी को योग्य करार दिया गया. यह काम मंत्री के दबाव में किया गया. जिसके लिए मूल्यांकन समिति दोषी है.
सरयू राय की शिकायत के अनुसार निगरानी विभाग की तकनीकी परीक्षण कोषांग ने अपनी जांच में साबित कर दिया था कि किस तरह मैनहर्ट का चयन अधिक दर पर अनुचित तरीके से किया गया. शिकायत में इस बात का भी उल्लेख था कि विधानसभा की कार्यान्वयन समिति ने मामले की गहन जांच में पाया था कि मैनहर्ट की नियुक्ति अवैध है. लेकिन रघुवर दास ने कार्यान्वयन समिति की जांच को प्रभावित और बाधित करने के लिए विधानसभा अध्यक्ष को पत्र लिखा.
पूर्व में भी इस मामले में निगरानी जांच के लिए वर्ष 2009 में राज्यपाल के तत्कालीन सलाहकार ने निगरानी आयुक्त को आदेश दिया था. मामले में निगरानी ब्यूरो की ओर से भी पांच बार पत्र लिखकर जांच करने की अनुमति निगरानी आयुक्त से मांगी गयी थी, लेकिन जांच की अनुमति नहीं मिली. मामले में निगरानी विभाग के तकनीकी परीक्षण को जांच का आदेश दिया गया. जांच में यह स्पष्ट हो गया कि मैनहर्ट अयोग्य था. इसके बाद भी मामले को दबाये रखा गया. इसी बीच मामला न्यायालय गया और न्यायालय ने भी पीटिशनर को निगरानी के डायरेक्टर जनरल के पास जाने को कहा. लेकिन निगरानी आयुक्त से अनुमति नहीं मिलने के कारण कोई कार्रवाई नहीं हुई.
Posted By : Sameer Oraon