रांची : भ्रष्टाचार निरोधक ब्यूरो (एसीबी) के विशेष लोक अभियोजक (एसपीपी) अधिवक्ता टीएन वर्मा मानदेय की राशि का भुगतान नहीं होने से काफी परेशान हैं. उन्हें 11 मार्च 2011 से लेकर 30 जुलाई 2016 तक के मानदेय राशि का अब तक भुगतान नहीं किया गया है. इसके अलावा पांच नवंबर 2019 से लेकर 20 मार्च 2020 तक का मानदेय राशि भी बकाया है.
उक्त दोनों अवधि के बकाया 2,32,700 रुपये मानदेय राशि का बिल सात अगस्त 2020 को महाधिवक्ता कार्यालय में जमा किया गया है, लेकिन मानदेय का भुगतान नहीं हो पाया है. मानदेय नहीं मिलने से परेशान श्री वर्मा ने 30 अगस्त को महाधिवक्ता राजीव रंजन को पत्र लिखा है. पत्र में उन्होंने विशेष लोक अभियोजक (निगरानी) के पद पर की गयी अपनी नियुक्ति के संबंध में विस्तार से जिक्र किया है.
तत्कालीन चीफ जस्टिस भगवती प्रसाद द्वारा माैखिक साक्षात्कार लिया गया था. उनकी अनुशंसा के बाद मंत्रिमंडल (निगरानी) विभाग के ज्ञापांक 270/13.3.2011 के प्रभाव से उनकी नियुक्ति की गयी थी, जो अब तक मान्य है. विभाग द्वारा इसे अब तक विलोपित नहीं किया गया है. पूर्व महाधिवक्ता ने भी उनकी नियुक्ति की वैधता पर सवाल उठाया था.
समीक्षा के बाद आगे निगरानी संबंधी मामलों पर सरकार का पक्ष झारखंड हाइकोर्ट में रखने को लेकर विभाग ने फाइल आवंटित करने का आदेश महाधिवक्ता कार्यालय को दिया था. विशेष लोक अभियोजक (निगरानी) श्री वर्मा ने कहा कि वर्ष 2011 से निगरानी संबंधी मामलों में सरकार का पक्ष सच्ची निष्ठा से रखता आ रहा हूं. ईमानदारी से कर्तव्यों का निर्वहन किया है. मेरे खिलाफ हाइकोर्ट या निगरानी विभाग द्वारा कभी प्रतिकूल टिप्पणी नहीं की गयी है. श्री वर्मा ने महाधिवक्ता से आग्रह किया है कि उनकी नियुक्ति की वैधता की समीक्षा दोबारा की जाये तथा वस्तुस्थिति की जानकारी उन्हें भी दी जाये.
posted by : sameer oraon