मरांग बुरु बचाओ अभियान : 11 फरवरी से रेल-रोड चक्का जाम, झारखंड समेत 5 राज्यों के 50 जिलों में कल मशाल जुलूस
सालखन मुर्मू (Salkhan Murmu) ने कहा कि इससे पहले कल यानी 30 जनवरी 2023 को झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, एवं असम के लगभग 50 जिला मुख्यालयों पर मरांग बुरु को बचाने के लिए और वर्ष 2023 में सरना धर्म कोड को मान्यता दिलाने की मांग के समर्थन में मशाल जुलूस निकाला जायेगा.
आदिवासी सेंगेल अभियान ने मरांग बुरु को बचाने (Marang Buru Bachao) और आदिवासियों को सरना धर्म कोड (Sarna Dharam Code) दिलाने के लिए बड़े आंदोलन का ऐलान कर दिया है. सेंगेल प्रमुख सालखन मुर्मू ने कहा है कि 11 फरवरी से अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम किया जायेगा. पूर्व सांसद श्री मुर्मू ने रविवार (29 जनवरी 2023) को संताल परगना जामताड़ा में प्रेस कॉन्फ्रेंस के बाद प्रेस विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी.
5 राज्यों के 50 जिला मुख्यालयों पर निकलेगा मशाल जुलूस
सालखन मुर्मू (Salkhan Murmu) ने कहा कि इससे पहले कल यानी 30 जनवरी 2023 को झारखंड, पश्चिम बंगाल, बिहार, ओड़िशा, एवं असम के लगभग 50 जिला मुख्यालयों पर मरांग बुरु को बचाने के लिए और वर्ष 2023 में सरना धर्म कोड को मान्यता दिलाने की मांग के समर्थन में मशाल जुलूस निकाला जायेगा. राष्ट्रपति को इस संबंध में ज्ञापन भी सौंपा जायेगा.
मरांग बुरु का मालिकाना हक आदिवासियों को देना होगा – सालखन
सेंगेल के प्रमुख ने कहा कि भारत सरकार और झारखंड सरकार को मरांग बुरु का मालिकाना हक आदिवासियों को देना ही होगा. सरना धर्म कोड को भी मान्यता देनी होगी. सरकार ने इस दिशा में अब तक कोई पहल नहीं की है. इसलिए तिलका मुर्मू की जयंती (11 फरवरी) से राष्ट्रीय स्तर पर अनिश्चितकालीन रेल-रोड चक्का जाम किया जायेगा.
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सालखन मुर्मू ने बुद्धिजीवियों से पूछे कई सवाल
सालखन मुर्मू ने देश-दुनिया के प्रबुद्ध नागरिकों, बुद्धिजीवियों से कई सवाल भी किये हैं. उन्होंने पूछा है कि क्या देश में केवल हिंदू, मुसलमान, ईसाई, सिख, जैन, बौद्ध ही धर्म हैं? प्रकृति पूजा में विश्वास करने वाले आदिवासियों का कोई ईश्वर, कोई धर्म, कोई धार्मिक आस्था, विश्वास नहीं है? उन्होंने पूछा है कि आदिवासियों को उजाड़कर पारसनाथ पहाड़ पर जैनियों को कब्जा दिलाना कहां तक जायज है?
आदिवासियों की आस्था पर चोट उसका धार्मिक नरसंहार – सालखन मुर्मू
सालखन मुर्मू ने कहा है कि आदिवासियों की धार्मिक आस्था, विश्वास और तथ्यों को दरकिनार कर उस पर चोट करना आदिवासियों के धार्मिक नरसंहार (रिलीजियस जेनोसाइड) से कम नहीं है. अविलंब इस पर बहुपक्षीय बातचीत शुरू की जाये. राष्ट्रीय आयोग का गठन किया जाये और भारत तथा दुनिया के आदिवासियों को उनका नैसर्गिक धार्मिक- प्राकृतिक अधिकार दिया जाये.
सालखन मुर्मू की अगुवाई में चल रही है मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा
उल्लेखनीय है कि सालखन मुर्मू और सुमित्रा मुर्मू के नेतृत्व में मरांग बुरु (पारसनाथ पहाड़ ) बचाओ भारत यात्रा चल रही है. अलग-अलग जिलों में जाकर सालखन मुर्मू अपनी बात रख रहे हैं. 17 जनवरी को जमशेदपुर से शुरू हुई मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा 29 जनवरी को जामताड़ा जिला के नाला प्रखंड पहुंचा. सालखन ने कहा कि यहां जनजागरण के बाद यात्रा आगे बढ़ेगी.
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मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा का कार्यक्रम
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30 जनवरी 2023 को मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा पश्चिम बंगाल के पुरुलिया जिला पहुंचेगी.
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31 जनवरी 2023 को दुमका जिला के मसलिया में जनजागरण अभियान चलेगा.
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01 फरवरी 2023 को पाकुड़ जिला के महेशपुर में लोगों को जागरूक किया जायेगा.
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02 फरवरी 2023 को मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा साहिबगंज जिला के बरहरवा पहुंचेगा.
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03 फरवरी 2023 को गोड्डा जिला के पोड़ैयाहाट में रहेंगे सालखन मुर्मू और उनके सहयोगी.
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04 फरवरी 2023 को गोड्डा जिला के ही सुंदरपहाड़ी में लोगों को जागरूक किया जायेगा.
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05 फरवरी 2023 को गोड्डा जिला के गोड्डा प्रखंड में जनजागरण अभियान चलेगा सेंगेल.
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07 फरवरी 2023 को पश्चिमी सिंहभूम के जिला मुख्यालय चाईबासा के पिलाई हॉल में मरांग बुरु बचाओ यात्रा जनसभा का आयोजन होगा.
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28 फरवरी 2023 तक मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा जारी रहेगी.
मरांग बुरु बचाओ भारत यात्रा का उद्देश्य
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मरांग बुरू (पारसनाथ पहाड़) को बचाना.
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वर्ष 2023 में हर हाल में सरना धर्म कोड की मान्यता लेना.
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कुड़मी को एसटी बनाने वालों का विरोध करना.
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असम व अंडमान के झारखंडी आदिवासियों को एसटी का दर्जा दिलाना.
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झारखंड में प्रखंडवार नियोजन नीति लागू करना.
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देश के सभी पहाड़-पर्वतों को आदिवासियों को सौंपने की मांग करना.
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आदिवासी स्वशासन व्यवस्था में जनतांत्रिक और संवैधानिक सुधार लाना.