वरीय संवाददाता, रांची़ झारखंड हाइकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने परित्राण मेडिकल ट्रस्ट से मेडिकल कॉलेज खरीदने के मामले में दर्ज प्राथमिकी को चुनौती देनेवाली याचिका पर सुनवाई की. इस दौरान अदालत ने आइए याचिका पर पक्ष सुना. मामले में प्रतिवादी शिवदत्त शर्मा द्वारा प्रार्थी के अधिवक्ता प्रशांत पल्लव पर लगाये गये आरोप से संबंधित आइए याचिका को अदालत ने खारिज कर दिया तथा शिवदत्त शर्मा पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया. जुर्माने की यह राशि झारखंड स्टेट लीगल सर्विस अथॉरिटी (झालसा) में दो सप्ताह के अंदर जमा करने का निर्देश दिया. साथ ही दो सप्ताह के अंदर प्रतिवादी को जवाब दायर करने काे भी कहा. अदालत ने प्रार्थी के खिलाफ पीड़क कार्रवाई करने पर पूर्व में लगी रोक को बरकरार रखा. मामले की अगली सुनवाई नौ दिसंबर को होगी. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता प्रशांत पल्लव व अधिवक्ता पार्थ जालान ने पैरवी की. उन्होंने प्रतिवादी शिवदत्त शर्मा के आरोप को गलत बताते हुए अदालत को बताया कि वह मामला काफी पुराना है. वर्तमान केस और उस समय शिवदत्त शर्मा के लिए पैरवी किये गये केस की प्रकृति अलग-अलग है. वर्तमान केस क्रिमिनल केस है. शिवदत्त शर्मा ने आइए याचिका इस क्रिमिनल केस में देरी करने के उद्देश्य से दायर की है, ताकि इसका निर्णय जल्द नहीं आ सके. वहीं शिवदत्त शर्मा ने अपनी याचिका में कहा है कि वर्ष 2012-2013 में निशिकांत दुबे के वकील प्रशांत पल्लव उनके एक केस में पैरवीकार थे, इसलिए वह इस मामले में उनके खिलाफ केस नहीं लड़ सकते हैं. उल्लेखनीय है कि गोड्डा के सांसद डॉ निशिकांत दुबे ने याचिका दायर कर दर्ज प्राथमिकी को चुनौती दी है. परित्राण मेडिकल ट्रस्ट देवघर के सचिव शिवदत्त शर्मा की ओर से जसीडीह थाना में कांड संख्या-96/2024 के तहत प्राथमिकी दर्ज करायी गयी है. प्राथमिकी में आरोप लगाते हुए कहा गया है कि बाबा बैद्यनाथ मेडिकल ट्रस्ट देवघर, जिसमें सांसद निशिकांत दुबे की पत्नी ट्रस्टी हैं, उनके द्वारा जालसाजी कर परित्राण मेडिकल ट्रस्ट से मेडिकल कॉलेज खरीदा गया है.
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