झामुमो के चमरा के बाद लोबिन भी बगावती तेवर में, सात को करेंगे नामांकन

झामुमो के विधायक चमरा लिंडा वहां बगावती तेवर अपनाये हुए हैं. उन्होंने नामांकन पत्र खरीद लिया है और 24 अप्रैल को नामांकन भी दाखिल करेंगे. दूसरी ओर राजमहल सीट से भी झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम बगावत पर उतर आये हैं.

By Prabhat Khabar News Desk | April 24, 2024 7:47 AM

रांची. इंडिया गठबंधन के तहत लोहरदगा सीट पर कांग्रेस के सुखदेव भगत उम्मीदवार है. पर झामुमो के विधायक चमरा लिंडा वहां बगावती तेवर अपनाये हुए हैं. उन्होंने नामांकन पत्र खरीद लिया है और 24 अप्रैल को दिन के 12 बजे निर्दलीय उम्मीदवार के रूप में नामांकन भी दाखिल करेंगे. लोहरदगा में 13 मई को चुनाव है. वहीं दूसरी ओर राजमहल लोकसभा सीट से भी झामुमो विधायक लोबिन हेंब्रम बगावत पर उतर आये हैं. वह पूर्व में भी कह चुके थे कि यदि विजय हांसदा को टिकट दिया गया तो वह पार्टी में रहते हुए भी वहां उतरेंगे. झामुमो ने विजय हांसदा को उम्मीदवार बनाया है. राजमहल लोकसभा सीट पर सबसे अंतिम चरण में एक जून को मतदान है. राजमहल लोकसभा सीट में नामांकन की अधिसूचना सात मई को जारी होगी. चमरा और लोबिन दोनों मिल कर झामुमो का टेंशन बढ़ाये हुए हैं. चमरा लिंडा को मनाने के लिए राज्य के एक मंत्री को लगाया गया था. पर वह भी फेल रहे और चमरा चुनाव लड़ने जा रहे हैं.

सात मई को मैं भी मैदान में : लोबिन

लोबिन हेंब्रम ने प्रभात खबर से बात करते हुए कहा कि वह अपने फैसले पर कायम हैं. किसी को भी तीर-धनुष बेचने नहीं देंगे. राजमहल से निर्दलीय ही मैं विजय हांसदा के खिलाफ चुनावी मैदान में उतरूंगा . उन्होंने बताया कि झामुमो के किसी नेता ने उनसे संपर्क नहीं किया है. न ही किसी से कोई बातचीत हुई है. उन्होंने कहा कि सात मई को ही नामांकन दाखिल करेंगे.

झामुमो रख रहा है दोनों की गतिविधियों पर नजर

झामुमो के एक वरिष्ठ नेता ने बताया कि पार्टी की नजर चमरा लिंडा व लोबिन हेंब्रम के कदमों पर है. उनके द्वारा अंतिम रूप से क्या कदम उठाया जाता है. इसके बाद ही पार्टी कुछ निर्णय लेगी. यह निर्णय सख्त भी हो सकता है. दोनों पर कार्रवाई भी हो सकती है.

हम नाम वापसी तक इंतजार करेंगे : सुप्रियो

झामुमो के महासचिव सह प्रवक्ता सुप्रियो भट्टाचार्य ने कहा कि देश में चुनाव लड़ना सबका अधिकार है, हम किसी को चुनाव लड़ने से तो रोक नहीं सकते. पर जब गठबंधन के तहत पार्टी कोई फैसला लेती है, तो वह एक लकीर बन जाती है और इस लकीर को मानना हर कार्यकर्ता के लिए बाध्यकारी होता है. पर फिर भी कुछ लोग लकीर को पार करना चाहता हैं, तो परिस्थिति पर निर्भर करता है. हम नाम वापसी की तिथि तक इंतजार करेंगे. इसके बाद भी नहीं मानते हैं, तो पार्टी अपने स्तर से कार्रवाई के लिए स्वतंत्र होगी.

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