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झारखंड हाइकोर्ट की फटकार के बाद चतरा में हुए छात्रवृत्ति घोटाले का केस एसीबी को हस्तांतरित, जानें पूरा मामला

भ्रष्टाचार का केस एसीबी को किया गया हस्तांतरित. रिश्तेदारों में बांटी छात्रवृत्ति राशि, होगी एसीबी जांच. चतरा जिले के कल्याण विभाग में अफसरों व कर्मियों ने मिलकर किया 9.33 करोड़ का घोटाला.

Scholarship Scam Case Update Chatra, Jharkhand News चतरा : चतरा जिले के कल्याण विभाग में हुए 9.33 करोड़ रुपये के भ्रष्टाचार मामले को हाइकोर्ट की फटकार के बाद एसीबी को हस्तांतरित कर दिया गया. इस मामले में वर्ष 2018 में प्राथमिकी दर्ज हुई थी, जिसे अब 2021 में एसीबी को सौंपा गया है. गड़बड़ी की जांच के दौरान अस्तित्वविहीन स्कूलों के खातों में 2.25 करोड़ रुपये ट्रांसफर करने का मामला भी पकड़ में आया था.

स्कूल के सभी खाते अभियुक्त नाजिर के पारिवारिक सदस्यों के नाम से खोले गये थे. कल्याण विभाग के अधिकारियों और कर्मियों की मिलीभगत से अंजाम दिये गये इस मामले को दो साल से अधिक समय तक पुलिस ने अपने पास ही रखा था. मामले में तत्कालीन जिला कल्याण पदाधिकारी आशुतोष कुमार बर्खास्त किये जा चुके हैं.

वहीं, भोला नाथ लागुरी के खिलाफ कठोर कार्रवाई का मामला अभी विचाराधीन है.
जमानत याचिका पर सुनवाई में हुआ खुलासा :

मामले में अभियुक्त बनाये गये सूरज प्रसाद उर्फ विकास प्रसाद द्वारा दाखिल की गयी अग्रिम जमानत याचिका पर सुनवाई के दौरान इस मामले के दो साल से अधिक समय तक पुलिस और न्यायिक दंडाधिकारी के पास पड़े रहने की जानकारी हाइकोर्ट को मिली.

राज्य में भ्रष्टाचार के मामलों की जांच के लिए एसीबी कार्यरत है. साथ ही भ्रष्टाचार से जुड़े मामलों की सुनवाई के लिए निगरानी का विशेष न्यायालय भी है. इसके बाद भी मामले के जिला पुलिस और न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में विचाराधीन होने के मुद्दे को हाइकोर्ट ने गंभीरता से लिया.

फैक्स भेज डीजीपी को तथ्य से अवगत कराने को कहा :

हाइकोर्ट ने सुनवाई के दौरान इन तथ्यों की जानकारी राज्य के डीजीपी को फैक्स से देने का निर्देश दिया. साथ ही यह भी कहा कि डीजीपी यह भी देखें कि इस प्राथमिकी में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम (पीसी एक्ट) की धाराएं लगी होने के बाद भी इसकी जांच स्थानीय पुलिस कैसे कर रही है.

यह मामला सक्षम न्यायालय के बदले न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत में अब तक कैसे विचाराधीन है. हाइकोर्ट की इस फटकार के बाद चतरा पुलिस ने इस मामले को एसीबी के हवाले किया है. साथ ही मुकदमे को न्यायिक दंडाधिकारी की अदालत से निगरानी के न्यायालय में भेजा.

ज्ञात हो कि अभियुक्त सूरज प्रसाद के पिता इंद्र देव प्रसाद जिला कल्याण कार्यालय में नाजिर के पद पर कार्यरत थे. सूरज प्रसाद का संबंध प्रयास व सेनवार्ड नामक एनजीओ से है. इन दोनों संस्थाओं के खाते में बिना किसी काम के ही कल्याण विभाग का पैसा ट्रांसफर हुआ था.

अभियुक्त नाजिर के परिजनों के नाम से खोले इन खातों में ट्रांसफर हुआ छात्रवृति का पैसा

स्कूल का नाम खाता संख्या असली खाताधारक राशि

यूपीएस हुकुइया 6118001500000215 कुमारी तुलसी प्रसाद 20.49

एमएस माझी पाजा 61180015600000206 नाजिर की पुत्री तारा प्रसाद 20.49

यूपीएस काशीलोना 6118001500000022 नाजिर इंद्र देव प्रसाद 20.49

यूएमएस बेसरा 30409588096 नाजिर की पुत्री तारा प्रसाद 20.49

यूपीएस बैरियाचक 30409588664 नाजिर की पुत्री चंदा प्रसाद 20.49

यूपीएस भौरूडीह 30916495365 नाजिर की पत्नी सुनीता देवी 20.49

यूपीएस आसिद्री 11430000088 नाजिर इंद्र देव प्रसाद 20.49

एनपीएस भौरहा 4107000110057185 नाजिर का पुत्र पृथ्वी प्रसाद 20.49

यूपीएस डांडू 34361815400 नाजिर का पुत्र पृथ्वी प्रसाद 20.49

(नोट- राशि लाख रुपये में)

Posted by : Sameer Oraon

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