रांची. देश के सभी राज्यों में कृषि अभियंत्रण निदेशालय बनाने पर विचार हो रहा है. केंद्र सरकार ने इसके लिए संसद की स्थायी समिति बनायी थी. इसी समिति ने आनेवाले दिनों में कृषि के क्षेत्र में यांत्रिकरण को बढ़ावा देने के लिए अलग से निदेशालय बनाने की अनुशंसा की है. इसके आलोक में केंद्र सरकार ने कमेटी बनायी है. यह कमेटी कृषि अभियंत्रण निदेशालय के गठन की रूपरेखा पर विचार करेगी. कमेटी में झारखंड में कृषि सेवा के सेवानिवृत्त पदाधिकारी आरपी सिंह को भी रखा गया है. आरपी सिंह अभी झारखंड एग्रीकल्चर मशीनरी टेस्टिंग सेंटर (जेएएमटीटीसी) में कार्यपालक पदाधिकारी के रूप में अनुबंध पर कार्यरत हैं.
कमेटी में विभिन्न राज्यों से हैं एक्सपर्ट
आरपी सिंह के अतिरिक्त कमेटी का अध्यक्ष तमिलनाडु इंजीनियरिंग कॉलेज के चीफ इंजीनियर डॉ आर मुरुगम को बनाया गया है. कमेटी में आइसीएआर की संस्था सीआइएइ के पूर्व निदेशक डॉ प्रीतम चंद्रा, बिहार सरकार में पदस्थापित सुधीर मिश्र, प बंगाल सरकार के जल संसाधन विभाग में पदस्थापित डॉ प्रवीर विश्वास, डिपार्टमेंट ऑफ रिन्यूअल एनर्जी के रायचुर के सहायक प्राध्यापक डॉ विजय कुमार पलेड तथा आइसीएआर के एग्रीकल्चर इंजीनियरिंग विभाग के डॉ देवेंद्र ढिंगरा को रखा गया है.
झारखंड में 10 साल से हो रहा काम
देश के कई राज्यों ने अपने यहां कृषि अभियंत्रण निदेशालय बना लिया है. इसमें मध्य प्रदेश, छत्तीसगढ़, तमिलनाडु, राजस्थान और अरुणाचल प्रदेश जैसे राज्य हैं. झारखंड में 2014 से इस पर काम हो रहा है, लेकिन अभी तक इस पर कोई निर्णय नहीं हुआ है. इसी बीच झारखंड में कृषि सेवा में अभियंत्रण (कृषि) के 55 पद स्वीकृत करा लिये गये हैं. 29 पद पर कृषि अभियंत्रण सेवा के अधिकारियों की बहाली भी करा ली गयी है. बिहार में 250 से कृषि अभियंत्रण के पद स्वीकृत किये गये हैं.
कृषि क्षेत्र में हो रहे हैं कई बदलाव
विशेषज्ञ बताते हैं कि कृषि क्षेत्र में कई बदलाव हो रहे हैं. तकनीकी अब खेतों में आ गयी है. पानी पटाने से लेकर फसल काटने और ढुलाई तक में मशीन का उपयोग हो रहा है. ड्रोन की दवा का छिड़काव हो रहा है. ड्रिप इरिगेशन में मशीनरी की अहमियत बढ़ गयी है. इसे देखते हुए केंद्र सरकार ने नया निदेशालय बनाने की पहल शुरू की है.
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