रांची : झारखंड में आज भी वर्ष 1990 में बहाल कृषि सेवा के अधिकारी ही काम कर रहे हैं. इसके बाद इस सेवा के अधिकारियों की बहाली नहीं हुई है. हालांकि कृषि सेवा की अलग-अलग केटेगरी में इक्का-दुक्का अधिकारियों की बहाली 1995-96 तक हुई है. इस तरह कृषि सेवा में मोटे तौर पर 1990 में बहाल लोग ही राज्य में कृषि सेवा का कार्य संभाल रहे हैं. अधिकारियों की बहाली नहीं होने से राज्य के कृषि विश्वविद्यालय से हर साल पढ़ाई पूरी करनेवाले विद्यार्थियों को भटकना पड़ रहा है. जबकि राज्य में दो-तिहाई से अधिक पद रिक्त है.
विभागीय अधिकारियों का ही कहना है कि वर्ष 2023-24 तक दर्जन भर अधिकारी ही सेवा में रह जायेंगे. अभी झारखंड कृषि सेवा के लिए चिह्नित करीब 300 पदों में से 100 से भी कम पदों पर अधिकारी कार्यरत हैं. नौ कॉलेजों में हो रही कृषि स्नातक की पढ़ाई बीएयू के साथ-साथ पूरे राज्य में नौ कॉलेजों में कृषि सेवा की पढ़ाई हो रही है. इन संस्थानों से करीब तीन हजार विद्यार्थी पास होकर निकल चुके हैं. इनमें से कुछ विद्यार्थियों को संविदा पर रखा गया है. बीटीएम और एटीएम के पदों पर कुछ कृषि स्नातक काम कर रहे है.
कृषि स्नातकों की बहाली अधिकारी और गैर अधिकारी वर्ग में होती है. राज्य लोक सेवा आयोग के माध्यम से वर्ग-2 के अफसर के रूप में बहाली होती है. यह पद बेसिक श्रेणी का होता है. इसके अतिरिक्त प्रखंड कृषि पदाधिकारी व समकक्ष पदों पर गैर प्रशासनिक अधिकारी के रूप में भी बहाली होती है. इस पद के लिए बहाली राज्य चयन आयोग के माध्यम से होती है.
प्रतियोगी परीक्षा व पढ़ाई के बाद भी नौकरी नहींबीएयू स्टूडेंट्स यूनियन के विद्यार्थी सुशील कुमार सिंह और मनीषा कुमारी ने कहा है कि प्रतियोगिता से चयन होकर आने के बाद बाद वे पढ़ाई करते हैं. इसके बाद भी नौकरी नहीं मिलती. विद्यार्थियों को यहां पढ़ाई कर दूसरी सेवा के लिए तैयारी करनी पड़ती है. विद्यार्थियों के समायोजन का प्रयास राज्य सरकार को करना चाहिए. राज्य सरकार हम लोगों की पढ़ाई पर लाखों रुपये हर साल खर्च करती है.
post by : Pritish sahay