रांची: झारखंड में कृषि विभाग के काम करने का तरीका भी अनूठा है. जिस योजना को वर्ष 2021 में पूरा होना था, उसके लिए विभाग अब तक लाभुक ही खोज रहा है. मामला पिछले वित्तीय वर्ष (2021-22) की कृषि यांत्रिकीकरण योजना का है. 72 करोड़ की योजना के लाभुक के चयन का काम जारी है. जबकि, नये वित्तीय वर्ष (2022-23) के छह माह गुजर गये हैं.
पिछले वित्तीय वर्ष के अंतिम समय में राज्यादेश निकलने के कारण योजना शुरू नहीं हो पायी थी. वहीं, चालू वित्तीय वर्ष का राज्यादेश अब तक नहीं निकला है. इस स्कीम के तहत लाभुकों को कृषि उपकरण दिये जाते हैं. बीते साल की योजना के स्वरूप में बदलाव किया गया है.
कृषि विभाग ने इस योजना के संचालन के लिए 31 मार्च 2022 को राज्यादेश निकाला था. इसमें कहा गया था कि राशि जेएमएमटीसी के पीएल खाते में डाली जायेगी और पूरे वित्तीय वर्ष के दौरान खर्च की जायेगी. इस दौरान जेएमएमटीसी के सीइओ रिटायर हो गये. उन्हें एक माह के बाद फिर से संविदा पर रख लिया गया है.
योजना के तहत 200 फीट एचडीपीइ पाइप वितरण और पंप सेट देने पर कुल 34.50 करोड़ रुपये खर्च होने हैं. वहीं, छोटे कृषि उपकरण बैंक पर शेष 34.50 करोड़ रुपये का वितरण होना है. इस योजना पर अधिकतम 90 हजार या 90 फीसदी अनुदान का प्रावधान है. योजना से कुल 14659 पंप सेट व 200 फीट एचडीपीइ पाइप का वितरण करना है. छोटे उपकरण बैंक में किसानों को 80 फीसदी तक अनुदान देने का प्रावधान है. इसमें 600 महिला स्वयं सहायता समूहों तथा 150 प्रगतिशील किसानों के बीच कृषि उपकरण का वितरण किया जायेगा.
पीएल (प्रोफिट एंव लॉस एकाउंट) सरकार की किसी एजेंसी का होता है. इसमें पैसा विशेष परिस्थिति में रखा जाता है. आमतौर पर जब योजना अधूरी हो, तो पीएल में पैसा डाल इससे राशि निकालने का प्रावधान है. कृषि विभाग ने विशेष परिस्थिति में इस तरह का प्रावधान किया है. विभाग ने कई बार अधिकारियों को योजना को जल्द पूरा करने का निर्देश दिया है.
रिपोर्ट- मनोज सिंह