Jharkhand News: कृषि और किसानों के विकास के लिए बनी योजनाएं दबी रह गयी फाइलों में, नहीं मिला कोई लाभ
किसानों और कृषि के विकास के लिए कई योजनाएं लागू हुई लेकिन दर्जन भर से ज्यादा योजनाएं फाइलों में ही रह गयी. वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में कई योजानाओं की स्वीकृति मिली लेकिन सिर्फ ट्रेजरी से पैसा निकला
रांची: वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि और किसानों के विकास के लिए बनी दर्जन भर से ज्यादा योजनाएं फाइलों में ही रह गयीं. इसमें किसान समृद्धि योजना, कटाई के बाद सब्जियों, फलों व फूलों को बर्बाद होने से बचाने की योजना, कृषि उपकरण वितरण सहित कई योजनाएं शामिल हैं. इनके लिए बजट में प्रावधान किया गया और वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में (25-31 मार्च) योजनाओं की स्वीकृति हुई. फिर राज्यादेश जारी हुआ. इससे सिर्फ ट्रेजरी से पैसा निकला, लेकिन योजनाएं लागू नहीं हो सकीं. इससे किसानों को इन योजनाओं का लाभ नहीं मिला.
ट्रेजरी से निकाल पीएल खाते में रख लिया पैसा :
वित्तीय वर्ष 2021-22 में कृषि पशुपालन सहकारिता विभाग ने ‘पोस्ट हार्वेस्टिंग एंड प्रिजर्वेशन इंफ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट’ नामक योजना बनायी. इसके लिए बजट में 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया. हालांकि बाद में यह 11 करोड़ रुपये पर सिमट गयी और योजना फाइलों में ही रह गयी. इस योजना का उद्देश्य राज्य में उत्पादित सब्जियों, फलों और फूलों के तैयार होने पर इसके रखरखाव और आपूर्ति के दौरान होनेवाली बर्बादी को कम करना था.
हालांकि वित्तीय वर्ष के अंतिम दिनों में इस योजना को स्वीकृत करने की प्रक्रिया शुरू हुई. बजट तैयार करते समय योजना की रूपरेखा तैयार नहीं थी, इसलिए योजना स्वीकृति तक कई बदलाव किये गये. बाद में यह फैसला किया गया कि इस योजना के तहत 300 ग्रामीण हाटों के दायरे में 10-10 किसानों को एक-एक साइकिल और सब्जी,फल-फूल आदि लाने के लिए कैरेट दिया जायेगा.
इस पर 2.10 करोड़ खर्च का अनुमान किया गया. एक करोड़ की लागत पर 250 वेज- कार्ट ट्राइसाइकिल और दो करोड़ की लागत पर वेड कार्ट इ-रिक्शा का वितरण किया जायेगा. 3.24 करोड़ रुपये की लागत पर 10 ग्रामीण हाटों में एक-एक सोलर कोल्ड रूम लगाया जायेगा. एग्रीकल्चर प्रोड्यूस मार्केटिंग कमेटी (एपएमसी) भी 3.24 करोड़ रुपये की लागत पर 10 कोल्ड रूम तैयार करेगी.
11 करोड़ की यह योजना स्वीकृति के लिए प्राधिकृत समिति को भेजी गयी. हालांकि प्राधिकृत समिति ने यह कहते हुए लौटा दिया कि इतनी रकम की योजना विभाग के स्तर पर ही स्वीकृत हो सकती है. इसके बाद विभागीय स्तर पर योजना स्वीकृत की गयी. मार्च के अंतिम दिनों में ट्रेजरी से पैसा निकाल कर पीएल खाते में रख लिया गया.
योजना बनाने व सुधारने में पूरा साल गुजर गया :
वित्तीय वर्ष 2021-22 में ही शहरी क्षेत्र में खेती को बढ़ावा देने की योजना बनायी गयी. इसके लिए दो करोड़ का बजटीय प्रावधान किया गया. पहले यह फैसला किया गया कि इस राशि से ‘रूफ टॉप फार्मिंग’ होगा. रूफटॉप फार्मिंग की कुल 375 इकाइयां होंगी. इसके बाद यह चर्चा होती रही कि आखिर किसकी छत पर रूफ टॉप फार्मिंग की सुविधा उपलब्ध करायी जायेगी.
महीनों चली खोजबीन के बाद यह फैसला किया गया कि इस योजना के तहत सरकारी अधिकारियों,विधायकों व मंत्रियों के सरकारी आवासीय परिसर में फूल-पौधे लगाये जायेंगे. योजना स्वीकृत हुई. लेकिन योजना स्वीकृति से संबंधित जारी आदेश में गलती हो गयी. इसमें सरकारी अधिकारियों, मंत्रियों व विधायकों के आवास में फूल-पौधा लगाने के बदले पेड़ और सब्जियों का उल्लेख हो गया. इस गलती को सुधारने की प्रक्रिया शुरू हुई. गलती में सुधार होते तक वित्तीय वर्ष समाप्त हो गया और कहीं कुछ नहीं लगा.
ट्रेजरी से सिर्फ पैसा निकाला गया, योजनाएं लागू नहीं हो पायीं
वर्ष 2021-22 में बनी कुछ योजनाओं की स्थिति
फसल क्षति में किसानों का सहायता शून्य
एक हजार किसानों को डोलोमाइट का वितरण शून्य
600-800 किसानों को ऊर्जा संचालित उपकरण देना शून्य
राष्ट्रीय कृषि विकास योजना के तहत 25000-30000
किसानों को लाभान्वित करना शून्य
1500 हेक्टेयर जमीन में एकीकृत खेती और मूल्य संवर्धन शून्य
5054 किसानों का प्रशिक्षण शून्य
18000 पंप सेट, 849 मिनी ट्रैक्टर, पावर टिलर का वितरण शून्य
100 कृषि उपकरण बैंक की स्थापना शून्य
1000 मधु बक्से का वितरण शून्य
झारखंड बागवानी सोसाइटी का गठन शून्य
150 लाभुकों के बीच जोड़ा बैल वितरण शून्य
घूमती रही फाइल पर किसान समृद्धि योजना शुरू नहीं हुई
वित्तीय वर्ष 2021-22 में किसान समृद्धि योजना की घोषणा हुई थी. इसका उद्देश्य किसानों की आमदनी बढ़ाने के अलावा सिंचाई पर होनेवाले डीजल के खर्च के साथ ही प्रदूषण को कम करना था. योजना के लिए 45.83 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था.
योजना के तहत किसानों को सोलर एनर्जी से चलनेवाला पंप सेट देना था. किसानों को दिये जानेवाले बड़े पंप सेट से 50-60 एकड़ और छोटे पंप सेट से 30-35 एकड़ में सिंचाई होने का अनुमान किया गया था. किसान समृद्धि योजना शुरू करने की फाइल कृषि और ऊर्जा विभाग के बीच घूमती रही और पूरा साल खत्म हो गया. इससे योजना शुरू नहीं हो सकी.
Posted By: Sameer Oraon