मनोज सिंह, रांची :
नेशनल एग्रीकल्चर इंफ्रा फाइनांसिंग फैसिलिटी के तहत झारखंड में कृषि के क्षेत्र में आधारभूत संरचना के विकास पर पहले चरण में 1445 करोड़ रुपये खर्च होना है. अगस्त 2020 में ही यह स्कीम आया है. पूरे देश में कृषि के क्षेत्र में आधारभूत संरचना पर एक लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च होना है. झारखंड में पिछले तीन साल में मात्र 125 योजना ही स्वीकृत हुई है. इसके लिए 151 करोड़ रुपये का आवंटन एजेंसियों को दिया गया है.
पिछले तीन माह में ही 50 योजना स्वीकृत हुई है. इसके लिए 72 करोड़ रुपये स्वीकृत किये गये हैं. इसमें से 58 करोड़ रुपये एजेंसियों को दे दिया गया है. यह भारत सरकार की महत्वाकांक्षी योजना है. इच्छुक व्यक्ति इस योजना के तहत दो करोड़ रुपये तक की योजना का लाभ ले सकते हैं. यह राशि मात्र तीन फीसदी ब्याज पर ही मिलती है. इस योजना के तहत मिलने वाली राशि को चार साल में खर्च करना है. पहले साल योजना का 10-10 फीसदी तथा अन्य तीन वर्षों में 30-30 फीसदी की दर से राशि दी जानी है.
इस राशि से आर्गेनिक इनपुट प्रोडक्शन, बायो स्यूमुलेटेंट यूनिट्स, नर्सरी, टिश्यू कल्चर, सीड प्रोसेसिंग, कस्टम हायरिंग सेंटर, फॉर्म हार्वेस्ट ऑटोमेशन, ड्रोन खरीद, खेत में सेंसर, ब्लॉक चेन, एग्रीकल्चर इंटीलिटिजेंस, रिमोट सेंसिंग तकनीक, ऑटोमेटिक वेदर स्टेशन, फॉर्म एडवाइजरी सर्विस के लिए जीआइएस सिस्टम, रेफ्रीजेरेटेड वैन, इंस्यूलेटेड वाहन, सप्लाई चेन सर्विस, इ-मार्केटिंग प्लेटफॉर्म, वेयर हाउस, कोल्ड स्टोरेज, कोल्ड चेन, पैकेजिंग यूनिट, प्राइमरी प्रोसेसिंग गतिविधि की योजना लगा सकते हैं.
पिछले तीन माह में इस योजना को गति दी गयी है. कोडरमा, हजारीबाग, रामगढ़, बोकारो, देवघर, गोड्डा और दुमका में आटउरिच कार्यक्रम का आयोजन किया गया है. कृषि के क्षेत्र में आधारभूत संरचना लगाने को इच्छुक लोगों को आगे आने का आग्रह किया गया है. कृषि विभाग की कई योजनाओं से जोड़ा जा रहा है. वित्त वर्ष 2023-24 में विभाग ने 500 करोड़ रुपये स्वीकृत करने का लक्ष्य रखा है.
चंदन कुमार, निदेशक, कृषि