रांची (विशेष संवाददाता). फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन यूनाइटेड नेशन (एफएओ) के वरिष्ठ नीति सलाहकार आरबी सिन्हा ने कहा है कि गुणवत्ता वाले पौध सामग्री सुनिश्चित करने के लिए कृषि वानिकी नीतियों पर ध्यान देना होगा. उन्होंने सही पौधा, सही समय, सही आमदनी के आदर्श वाक्य पर जोर देते हुए कृषि स्थिरता और आजीविका में सुधार के लिए सभी हितधारकों की सक्रिय भागीदारी का आह्वान किया. श्री सिन्हा सोमवार को रांची विवि आइक्यूएसी, फूड एंड एग्रीकल्चर आर्गेनाइजेशन संयुक्त राष्ट्र संघ, कृषि एवं किसान मंत्रालय के संयुक्त तत्वावधान में नर्सरी एक्रीडिएशन प्रोटोकॉल ऑफ एग्रोफॉरेस्ट्री विषय पर पत्रकारिताा विभाग के सभागार में आयोजित कार्यशाला में बोल रहे थे. इस अवसर पर टास्कफोर्स जस्ट सेस्टेनबल के अध्यक्ष एके रस्तोगी ने कहा कि झारखंड में 30 प्रतिशत से अधिक वन क्षेत्र हैं, लेकिन कम जीडीपी और खराब भूमि की समस्याओं का सामना करना पड़ रहा है. उन्होंने कहा कि झारखंड के 18 जिलों के सर्वे में पाया गया कि समुचित प्रयास करने पर कृषि वानिकी का योगदान जीडीपी में बढ़ेगा. उन्होंने बायोचार और बायो-ऑयल जैसे सह-उत्पादों के महत्व को भी रेखांकित किया. रांची विवि के कुलपति डॉ अजीत कुमार सिन्हा ने कार्यशाला का अध्यक्षता करते हुए बीज प्रमाणन प्रक्रियाओं को स्थापित करने, प्रगति का दस्तावेजीकरण करने और बीज केंद्र बनाने की आवश्यकता पर जोर दिया. उन्होंने कृषि वानिकी में बीज की गुणवत्ता और स्थिरता से संबंधित मुद्दों को हल करने के लिए एक प्रमाणपत्र पाठ्यक्रम शुरू करने की योजना पर भी प्रकाश डाला. आर ओखंडियार ने कृषि वानिकी नर्सरी के लिए मान्यता प्रोटोकॉल पर चर्चा की. साथ ही स्लाइ शो के माध्यम से कृषि वानिकी मॉडलों (जैसे मधुमक्खी पालन, मछली पालन, और साइल्वोपास्चर सिस्टम) और 2014 की कृषि वानिकी नीति पर ध्यान केंद्रित किया. आगंतुकों का स्वागत आइक्वेसी के डॉ बीके सिन्हा ने, संचालन डॉ आनंद ठाकुर तथा धन्यवाद ज्ञापन कुलसचिव ने किया. इस अवसर पर डॉ दुष्यंत गहलोत, रांची विवि आइक्वेसी के डॉ बीके सिन्हा, डॉ एसएन मिश्रा, डॉ बीपी सिन्हा, डॉ नैनी सक्सेना, डॉ कुनील कांदिर, डॉ सोनी तिवारी, विनोद महतो सहित कई शिक्षक, शोधार्थी व विद्यार्थी उपस्थित थे
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