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10 साल बाद भी झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी नियुक्ति पर सेवा शर्त तैयार नहीं, सीएम हेमंत ने दिया ये निर्देश

विश्वविद्यालय ने सेवा शर्त परिनियम व नियुक्ति नियमावली उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग को एक साल पूर्व ही उपलब्ध करायी थी, लेकिन मुख्यमंत्री सह विभागीय मंत्री हेमंत सोरेन ने पुन: समीक्षा करते हुए सातवें वेतनमान के आधार पर इसे तैयार करने का निर्देश दिया है. इसके बाद विभाग ने विश्वविद्यालय से इस बारे में मंतव्य मांगा है.

By Prabhat Khabar News Desk | July 14, 2021 10:31 AM

Jharkhand Technical University News रांची : झारखंड टेक्निकल यूनिवर्सिटी (जेयूटी) में 10 वर्ष में भी न तो सेवा शर्त परिनियम बना और न ही नियुक्ति नियमावली बन पायी है. इस कारण 2011 में स्थापित इस विश्वविद्यालय में कुलपति को छोड़ कर सभी महत्वपूर्ण पदों पर कॉलेजों के शिक्षकों को प्रतिनियुक्त कर कार्य कराये जा रहे हैं.

विश्वविद्यालय ने सेवा शर्त परिनियम व नियुक्ति नियमावली उच्च व तकनीकी शिक्षा विभाग को एक साल पूर्व ही उपलब्ध करायी थी, लेकिन मुख्यमंत्री सह विभागीय मंत्री हेमंत सोरेन ने पुन: समीक्षा करते हुए सातवें वेतनमान के आधार पर इसे तैयार करने का निर्देश दिया है. इसके बाद विभाग ने विश्वविद्यालय से इस बारे में मंतव्य मांगा है.

इस बिंदुओं पर मांगा गया मंतव्य :

विवि से जिन बिंदुओं पर मंतव्य मांगा गया है, उनमें विवि के प्राधिकारों के गठन, शक्ति व कार्य, प्राधिकारों के सदस्यों में से रिक्तियां भरने के तरीके, प्राधिकारों एवं उनकी समिति के सदस्यों को भुगतान किये जानेवाले भत्ते, प्राधिकार की बैठक की प्रक्रिया, प्राधिकारों के आदेशों व प्रमाण, कुलपति से भिन्न विवि के अन्य पदाधिकारियों की पदावधि, नियुक्ति पद्धति व सेवा शर्त, विवि के शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों की अर्हता,

विवि के शिक्षकों व अन्य कर्मचारियों के वर्गीकरण, नियुक्ति प्रक्रिया और सेवा की शर्त, विवि पदाधिकारियों, शिक्षकों व कर्मचारियों के लाभार्थ पेंशन, बीमा, भविष्य निधि व अन्य लाभ का गठन, अंगीभूत कॉलेजों में कोर्स, शोध, प्रयोग व व्यावहारिक प्रशिक्षण, विवि की डिग्री, डिप्लोमा व प्रमाण पत्र में प्रवेश के लिए शुल्क, छात्रवृत्ति, मेडल व पुरस्कार देने की शर्तें, हॉल व छात्रावास की स्थापना व रख-रखाव, छात्रावास व आवास के लिए शुल्क, डिग्री व डिप्लोमा देने के लिए दीक्षांत समारोह का आयोजन, मानद डिग्री व शैक्षिक विशिष्टता प्रदान करने, स्नातकों के पंजीकरण की शर्त व उसके रजिस्टर रखने आदि शामिल हैं.

Posted By : Sameer Oraon

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