रांची: कोरोना में लॉकडाउन की समाप्ति के बाद राजधानी में दोबारा प्रदूषण का स्तर बढ़ता जा रहा है. हवाओं की गुणवत्ता इस कदर खराब हो गयी है कि यह लोगों के स्वास्थ्य को प्रभावित कर रहा है. राजधानी का एयर क्वालिटी इंडेक्स (वायु गुणवत्ता सूचकांक) औसतन 107 के आसपास रह रहा है. पांच और छह मई को राजधानी के कई इलाकों में एक्यूआइ 168 तक पहुंच सकता है.
यह लोगों के स्वास्थ्य पर सीधा प्रभाव डाल रहा है. स्वास्थ्य विशेषज्ञों का कहना है कि 100 से अधिक एक्यूआइ होने पर फेफड़ों की कई बीमारियां हो सकती हैं और इससे अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है. वहीं छाती रोग से पीड़ित मरीजों को अस्थमा अटैक की संभावना दोगुनी हो जाती है. पराग कण और कोयला के छोटे कणों के हवाओं में घुलने से भी अस्थमा और क्रोनिक ऑब्सट्रक्टिव पल्मोनरी डिजीज (सीओपीडी) का खतरा बढ़ता है.
रिम्स के टीबी एंड चेस्ट विभाग के डॉ ब्रजेश मिश्रा ने बताया कि अस्थमा के मरीज समस्या लेकर दोबारा ओपीडी में आने लगे हैं. वहीं, कोरोना में जब आवागमन कम था, तो उस समय प्रदूषण भी कम हो गया था. नतीजा यह था कि अस्थमा के मरीजों की समस्याएं कम हो गयी थीं. लेकिन जैसे ही आवागमन बढ़ा है, प्रदूषण का स्तर भी बढ़ गया है. ऑर्किड अस्पताल के डॉ निशिथ कुमार ने बताया कि एक्यूआइ 100 तक ठीक है, लेकिन जैसे ही इससे बढ़ता है, तो अस्थमा का खतरा बढ़ जाता है. ऐसे में वायु प्रदूषण को कम करने के लिए सामूहिक प्रयास करना चाहिए. अस्थमा के मरीज बढ़ गये हैं, क्योंकि राजधानी का एक्यूआइ 100 से अधिक है.
Posted By: Sameer Oraon