हूल विद्रोह इतिहास की सबसे बड़ी क्रांति : सुदेश

अंग्रेजी सरकार की गलत नीतियों और महाजनी प्रथा के विरोध में हुए हूल विद्रोह ने देश में आजादी की लड़ाई का शंखनाद किया था.

By Prabhat Khabar Print | July 1, 2024 12:44 AM

रांची. अंग्रेजी सरकार की गलत नीतियों और महाजनी प्रथा के विरोध में हुए हूल विद्रोह ने देश में आजादी की लड़ाई का शंखनाद किया था. हूल विद्रोह इतिहास की सबसे बड़ी क्रांति है और इसे भुलाया नहीं जा सकता. संताल हूल के दौरान वीर शहीद सिदो-कान्हू के नेतृत्व में हजारों क्रांतिकारियों ने अपनी शहादत दी. ये बातें आजसू पार्टी के अध्यक्ष सुदेश कुमार महतो ने कहीं. श्री महतो ने हूल दिवस पर संताल हूल के महानायकों को श्रद्धांजलि दी. आजसू पार्टी की ओर से राज्यभर में महानायकों को श्रद्धांजलि दी गयी. इस मौके पर सुदेश ने आगे कहा कि यह वक्त सभी झारखंडियों को एकजुट कर एक नयी सामाजिक और राजनीतिक चेतना जागृत करने का है. वीर शहीदों के स्वशासन के सपनों को साकार कर समृद्ध और खुशहाल झारखंड की परिकल्पना को पूरा करने के लिए हमें मिलकर एक नयी हूल क्रांति की नींव रखनी होगी. इधर राजधानी के सिदो-कान्हू पार्क में हूल दिवस पर पार्टी पदाधिकारियों द्वारा अमर वीर शहीदों को श्रद्धांजलि दी गयी. प्रवक्ता डॉ. देवशरण भगत ने कहा कि झारखंड के वीरों ने कभी भी बाहरी दखल, जुल्म और अत्याचार को बर्दाश्त नहीं किया. अपने हक और अधिकारों के लिए संघर्ष करना हर झारखंडी की पहचान है. इस मौके पर सुधीर यादव, भरत काशी, पारसनाथ उरांव, जलनाथ चौधरी, सतेंद्र सिंह, बनमाली मंडल, रमेश गुप्ता, विरेंद्र प्रसाद, टी के मुखर्जी, दयाशंकर झा, डॉ पार्थ पारितोश सहित कई नेता मौजूद थे.

डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है

Next Article

Exit mobile version