Loading election data...

आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल होंगे सस्पेंड, सरकार ने शुरू की तैयारी

आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल सस्पेंड होंगे. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की सहमति के बाद उन्हें निलंबित कर दिया जायेगा.

By Sameer Oraon | May 8, 2024 11:17 AM
an image

रांची: ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के आप्त सचिव संजीव लाल सस्पेंड होंगे. उनके न्यायिक हिरासत में चले जाने की सूचना के बाद सरकार के स्तर पर उन्हें निलंबित करने की संचिका बढ़ा दी गयी है. मुख्यमंत्री चंपाई सोरेन की सहमति के बाद उन्हें निलंबित कर दिया जायेगा. चूंकि वह झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी हैं, ऐसे में कार्मिक विभाग द्वारा उन्हें निलंबित करने का आदेश जारी किया जायेगा. सोमवार को संजीव लाल के आवास पर इडी ने छापामारी की थी. छापामारी में नगद भी बरामद किया गया था. इसके बाद ईडी ने उन्हें गिरफ्तार कर लिया था.

सोमवार को ईडी ने मारा था छापा

गौरतलब है कि ईडी की टीम ने सोमवार को उनके और उनके सहायक के घर पर रेड मारी थी. जहां उनके घर से करोड़ों रुपये बरामद हुए थे. इसके बाद दोनों को गिरफ्तार कर लिया गया था. मंगलवार को उन्हें ईडी कोर्ट में पेश किया गया. जहां अदालत ने उन्हें 6 दिनों की रिमांड पर लेने की अनुमति दे दी. नगद कैश के अलावा उन दोनों के ठिकानों से की ट्रांसफर पोस्टिंग से जुड़े पत्र भी बरामद किये गये. जिसमें एक पत्र कांग्रेस अध्यक्ष राजेश ठाकुर के नाम का है.

Also Read: ईडी का खुलासा: संजीव लाल वसूलता था कमीशन की रकम, फिर बड़े अफसरों-नेताओं को मिलता था इसका हिस्सा

संजीव लाल वसूलता है कमीशन की रकम

ईडी ने जहांगीर आलम और संजीव लाल को मंगलवार को कोर्ट में पेश किया. जहां रिमांड पिटीशन दायर कर अदालत को बताया कि ग्रामीण विकास विभाग की विकास योजनाओं में 15% की दर से कमीशन की वसूली होती है. संजीव लाल टेंडर मैनेज कर कमीशन की रकम वसूलता है. वसूली के लिए बने सिस्टम में इंजीनियर और ठेकेदार शामिल हैं. कमीशन की रकम जहांगीर आलम के पास रखी जाती है और यह राशि बड़े अफसरों और राजनीतिज्ञों तक जाती है. ईडी ने यह भी बताया कि संजीव लाल ने जहांगीर के नाम पर गाड़ी भी खरीदी है. इससे जहांगीर और संजीव के बीच गहरे संबंध होने की पुष्टि होती है.

चपरासी के तबादले में भी संजीव की दखल

झारखंड प्रशासनिक सेवा के अधिकारी संजीव कुमार लाल फिलहाल ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम के सरकारी निजी सहायक हैं. इससे पहले वह दो-दो मंत्रियों के सहायक रह चुके हैं. वहीं, रांची में अंचलाधिकारी और कार्यपालक दंडाधिकारी के पद पर भी कार्यरत रहे हैं. मूल रूप से खूंटी के रहनेवाले संजीव की विभाग में अच्छी धाक थी. एक-एक टेंडर उनकी नजर से गुजरता था. छोटी-मोटी खरीद से लेकर अधिकारियों के पदस्थापन और तबादले पर उनकी नजर रहती थी.

इसे लेकर कई बार विभाग के वरीय अधिकारियों के साथ संजीव की कहा-सुनी भी हुई थी. वह छोटे-छोटे काम में भी हस्तक्षेप करते थे. उनकी इच्छा के बगैर अधिकारी एक चपरासी तक का तबादला भी नहीं कर सकते थे. कई बार तो चपरासियों का तबादला रोकने के लिए अधिकारियों को मजबूर किया गया था. संजीव के कामकाज को लेकर कई बार अधिकारियों ने विभागीय मंत्री से शिकायत भी की थी.

Exit mobile version