शकील अख्तर (रांची).
कमीशनखोरी और मनी लाउंड्रिंग के आरोप में जेल भेजे गये ग्रामीण विकास मंत्री आलमगीर आलम ने अब तक अपना त्यागपत्र नहीं दिया है. ऐसे में ‘आदर्श चुनाव आचार संहिता’ समाप्त होने के बाद विभाग द्वारा राज्य में संचालित की जानेवाली विकास योजनाओं की स्वीकृति, आवंटन, प्राइस स्क्लेशन का काम प्रभावित होगा. क्योंकि मंत्री जेल में विभागीय दस्तावेजों पर हस्ताक्षर नहीं कर सकते हैं. न्यायिक हिरासत में रहते हुए उन्हें सिर्फ कानूनी दस्तावेज और शिकायती पत्र पर ही हस्ताक्षर करने की अनुमति है. बता दें कि आलमगीर आलम तीन महत्वपूर्ण विभागों (ग्रामीण विकास, पंचायती राज, ग्रामीण कार्य) के मंत्री हैं. वहीं, चालू वित्तीय वर्ष के दौरान इन विभागों द्वारा विकास योजनाओं पर कुल 17,702 करोड़ रुपये खर्च करने का बजटीय प्रावधान किया गया है. राज्य सरकार ने चालू वित्तीय वर्ष के लिए ग्रामीण विकास का योजना आकार 11,000 करोड़, ग्रामीण कार्य का 5,000 करोड़ और पंचायती राज का 1,702 करोड़ रुपये निर्धारित किया है. साथ ही योजनाओं की स्वीकृति और आवंटन आदेश जारी करने का नियम बना रखा है. इसके तहत मंत्री, विभागीय सचिव, प्राधिकृत समिति और मंत्रिपरिषद की वित्तीय शक्तियां निर्धारित हैं. इसके अलावा चालू योजना और नयी योजना को भी परिभाषित किया गया है. किसी चालू योजना का स्थान बदलने के बाद उस योजना को नयी योजना माना जाता है. लेकिन मनरेगा, इंदिरा आवास योजना, मुख्यमंत्री लक्ष्मी लाडली योजना, छात्रवृति योजना, वृद्धावस्था पेंशन योजना को चालू योजना माना जायेगा.आवंटन आदेश जारी करने का यह है प्रावधान :
सरकार द्वारा आवंटन आदेश जारी करने के लिए बनाये गये नियम में यह प्रावधान किया गया है कि 2.5 करोड़ रुपये से अधिक की नयी योजना में विभागीय मंत्री के अनुमोदन के बाद ही योजना स्वीकृति और आवंटन आदेश जारी किया जायेगा. वैसी चालू योजना में बार-बार मंत्री के अनुमोदन की जरूरत नहीं होगी, जिसमें संबंधित योजना पर हर वित्तीय वर्ष में खर्च की जानेवाली राशि पहले निर्धारित की जा चुकी है. इस तरह की चालू योजना के लिए मूल स्वीकृति आदेश के आलोक में विभागीय सचिव ही अगले वित्तीय वर्ष के दौरान आवंटन आदेश जारी कर सकेंगे. लेकिन, वैसी चालू योजना, जिसमें अलग-अलग वित्तीय वर्षों के लिए खर्च की जानेवाली राशि निर्धारित नहीं हो, तो सचिव अपने स्तर से 2.5 करोड़ का आवंटन आदेश जारी कर सकते हैं. लेकिन, 2.5 करोड़ रुपये से अधिक के आवंटन के लिए विभागीय मंत्री का अनुमोदन जरूरी होगा. लोकसभा चुनाव के मद्देनजर 16 मार्च 2024 को राज्य में आदर्श चुनाव आचार संहिता लागू हो गया. इससे चालू वित्तीय वर्ष के लिए योजनाओं की स्वीकृति और आवंटन आदेश जारी करने के काम पर पाबंदी लग गयी.नयी योजना में क्या है भूमिका :
केंद्र या राज्य प्रायोजित वैसी सभी योजनाएं, जिनकी कल्पना नये रूप में की गयी हो या पहले के वर्षों में स्वीकृत किसी योजना का हिस्सा नहीं हो. ऐसी योजनाओं की स्वीकृति के लिए विभागीय मंत्री की सहमति आवश्यक है. नयी योजना के सिलसिले में मंत्री के अनुमोदन के बाद ही विभागीय सचिव के स्तर से आवंटन आदेश जारी किया जा सकता है.चालू योजना में बाधा नहीं :
यह वैसी बड़ी योजना है, जिसे एक साल से अधिक समय में पूरा किया जाना हो और उसके लिए हर वित्तीय वर्ष में खर्च का आकलन कर लिया गया हो. ऐसी योजना के लिए स्वीकृत मूल स्वीकृति आदेश के आलोक में विभागीय सचिव अपने स्तर से आवंटन जारी कर सकते हैं.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है