टेंडर में आलमगीर का हिस्सा 1.5 प्रतिशत, 32.20 करोड़ भी मंत्री के लिए थे : इडी
ग्रामीण विकास विभाग में जारी कमीशनखोरी में मंत्री आलमगीर आलम को 1.5% हिस्सा मिलता है. मंत्री को सितंबर 2022 में कमीशन में हिस्सेदारी के रूप में तीन करोड़ रुपये मिले थे. यह रकम एक इंजीनियर ने दी थी.
विशेष संवाददाता (रांची).
ग्रामीण विकास विभाग में जारी कमीशनखोरी में मंत्री आलमगीर आलम को 1.5% हिस्सा मिलता है. मंत्री को सितंबर 2022 में कमीशन में हिस्सेदारी के रूप में तीन करोड़ रुपये मिले थे. यह रकम एक इंजीनियर ने दी थी. जहांगीर के घर से मिले 32.20 करोड़ रुपये की वसूली, मंत्री के लिए संजीव लाल के निर्देश पर की गयी थी. इडी ने ग्रामीण विकास मंत्री को पीएमएलए के विशेष न्यायाधीश की अदालत में पेश करते हुए रिमांड पिटीशन में इन बातों का उल्लेख किया है. साथ कमीशनखोरी के सिलसिले में आलमगीर की महत्वपूर्ण भूमिका को देखते हुए जांच के लिए 10 दिनों की रिमांड पर देने का अनुरोध किया. अदालत ने इडी को छह दिनों की रिमांड मंजूर की. इसके बाद आलमगीर आलम को बिरसा मुंडा सेंट्रल जेल भेज दिया गया. शुक्रवार से आलमगीर आलम को रिमांड पर लेकर इडी पूछताछ करेगी. रिमांड पिटीशन में कमीशनखोरी की चर्चा करते हुए कहा गया है कि ग्रामीण विकास विशेष प्रमंडल और ग्रामीण कार्य विभाग के एक सहायक अभियंता द्वारा कमीशन की वसूली पर ध्यान दिया जाता है. जांच में यह पाया गया है कि टेंडर में कुल लागत का 1.5% मंत्री के कमीशन के रूप में निर्धारित है. मंत्री आलमगीर को भी 1.5% के हिसाब से कमीशन मिलता है. सितंबर 2022 में एक सहायक अभियंता ने आलमगीर को तीन करोड़ रुपये दिये थे. पिटीशन में कहा गया है कि विभाग में जारी कमीशनखोरी की जांच के दौरान छह, सात व आठ मई को संजीव लाल और जहांगीर सहित अन्य के ठिकानों पर छापेमारी की गयी थी. इसमें करीब 37.50 करोड़ रुपये जब्त किये गये थे. इसमें से 32.20 करोड़ रुपये जहांगीर के घर से मिले थे. यह रकम संजीव लाल के निर्देश पर जहांगीर ने आलमगीर आलम के लिए वसूली थी. इडी ने कोर्ट को बताया कि छापेमारी के दौरान जहांगीर के घर से नोटों के साथ सरकारी दस्तावेज मिले थे. इन सरकारी दस्तावेजों को मंत्री के आप्त सचिव संजीव लाल के पास होना चाहिए था. इससे यह प्रमाणित होता है कि संजीव लाल मंत्री से संबंधित दस्तावेज, नकदी आदि जहांगीर के घर पर रखता था.तय है कमीशन के पैसों के बंटवारे की प्रक्रिया :
जहांगीर व संजीव लाल टेंडर मैनेज करने और इंजीनियरों से कमीशन वसूलने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाते थे. कमीशन के रूप में वसूली गयी राशि का बंटवारा एक निश्चित प्रक्रिया के तहत किया जाता है. कमीशन की राशि वसूलने और बंटवारे को अंजाम देने के लिए बने ग्रुप में विभाग के ऊपर से नीचे तक के अधिकारी शामिल हैं. बीरेंद्र राम ने भी अपनी गिरफ्तारी के बाद पीएमएलए की धारा-50 के तहत दिये गये बयान में विभाग में कमीशनखोरी और उसके बंटवारे की निर्धारित प्रक्रिया जानकारी दी थी. बीरेंद्र राम प्रकरण में न्यायालय में आरोप पत्र दायर किया जा चुका है. इसमें कुल 10 लोगों को आरोपित किया गया है. आरोपितों की सूची में बीरेंद्र राम, आलोक रंजन, राजकुमारी, गेंदा राम, मुकेश मित्तल, ताराचंद, नीरज मित्तल, राम प्रकाश भाटिया, हरीश यादव और हृदयानंद तिवारी का नाम शामिल है.आलमगीर को स्लीप एप्निया बीमारी, जेल में दी गयी सी-पैप मशीन :
मेडिकल जांच के बाद गुरुवार सुबह 10:45 बजे इडी ने आलमगीर को पीएमएल के विशेष न्यायाधीश पीके शर्मा की अदालत में पेश किया. इडी के विशेष लोक अभियोजक शिव कुमार काका ने मामले में पूछताछ के लिए आलमगीर को 10 दिनों की रिमांड पर देने का आग्रह कोर्ट से किया. आलमगीर के अधिवक्ता ने इसका विरोध किया. अधिवक्ता ने कोर्ट को बताया कि उनके मुवक्किल स्लीप एप्निया (सोने के दौरान सांस लेने में परेशानी) है. उन्हें बीपी और शुगर भी है. हेल्थ ग्राउंड पर उन्हें जेल में सुविधा उपलब्ध करायी जाये. कोर्ट ने जेल प्रशासन को आलम को सुविधा उपलब्ध कराने का निर्देश दिया. दोपहर 1:20 बजे आलमगीर को न्यायिक हिरासत में बिरसा मुंडा केंद्रीय कारा ले जाया गया. जेल पहुंचने पर जेल प्रशासन ने उन्हें सी-पैप मशीन उपलब्ध करायी, ताकि सोने के दौरान उन्हें सांस लेने में परेशानी नहीं हो. आलमगीर की पेशी के दौरान कोर्ट के गलियारे में कुछ लोगों ने जिंदाबाद के नारे लगाये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है