लांस नायक अल्बर्ट एक्का के परमवीर अल्बर्ट एक्का बनने की कहानी, सूबेदार मेजर सहदेव की जुबानी

Albert Ekka Death Anniversary: देश पर कुर्बान झारखंड के लाल अल्बर्ट एक्का की पुण्यतिथि पर पढ़िए लांस नायक अल्बर्ट एक्का के के परवीर अल्बर्ट एक्का बनने की कहानी.

By Mithilesh Jha | December 3, 2024 5:00 AM
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Albert Ekka Death Anniversary: वर्ष 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में दुश्मन के छक्के छुड़ा देने वाले परमवीर अल्बर्ट एक्का को कौन नहीं जानता. हर साल उनकी जयंती और पुण्यतिथि पर झारखंड समेत देश के अन्य हिस्सों में कार्यक्रम होते हैं. उन्हें श्रद्धांजलि दी जाती है. उनकी वीरता को याद किया जाता है.

27 दिसंबर 1942 को गुमला के जारी गांव में जन्मे अल्बर्ट एक्का

आज हम आपको बताएंगे गुमला जिले के एक छोटे से गांव जारी में जन्मे अल्बर्ट एक्का के परमवीर अल्बर्ट एक्का बनने की कहानी. सबसे पहले उनके और उनके परिवार के बारे में जान लीजिए. 27 दिसंबर 1942 को अल्बर्ट एक्का का जन्म गुमला जिले में हुआ. उनके पिता का नाम जूलियस एक्का और माता का नाम मरियम एक्का था. आदिवासी परिवार में जन्मे अल्बर्ट एक्का को शिकार का शौक बचपन से ही था.

27 दिसंबर 1962 को बिहार रेजिमेंट में हुई अल्बर्ट एक्का की भर्ती

बचपन से ही वह पारंपरिक शिकार में निपुण हो गए थे. छोटी उम्र में ही गुमला के अल्बर्ट एक्का को सेना की नौकरी ने आकर्षित करना शुरू कर दिया. बड़े होने के बाद वह सेना में भर्ती हुए. 27 दिसंबर 1962 को बिहार रेजिमेंट में उनकी भर्ती हुई.

1968 में बिहार रेजिमेंट से ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स में हुआ ट्रांसफर

जनवरी 1968 में सेना में ब्रिगेड ऑफ गार्ड्स की स्थापना हुई और अल्बर्ट एक्का का तबादला बिहार रेजिमेंट से इस नई यूनिट में कर दिया गया. 1971 के भारत-पाकिस्तान युद्ध में पूर्वोत्तर में उन्हें दुश्मन मुल्क के सैनिकों से लोहा लेने के लिए भेजा गया. इसी दौरान उनको पदोन्नत करते हुए लांस नायक बना दिया गया. हिली युद्ध के दौरान त्रिपुरा के ब्राह्मणबेरिया जिले के गंगासागर में दुश्मन को नेस्तनाबूद करते हुए महज 29 साल की उम्र में 3 दिसंबर 1971 को अल्बर्ट एक्का शहीद हो गए.

लांस नायक अल्बर्ट एक्का के परमवीर अल्बर्ट एक्का बनने की कहानी, सूबेदार मेजर सहदेव की जुबानी 4

पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए पेट में लगी कई गोलियां

इसी युद्ध में शामिल रहे गुमला जिले के रहने वाले सूबेदार मेजर सहदेव महतो ने अल्बर्ट एक्का की वीरता की कहानी प्रभात खबर (prabhatkhabar.com) से साझा की. उन्होंने बताया कि झारखंड की धरती पर जन्मे लांस नायक अल्बर्ट एक्का एक बहादुर सैनिक थे. देशभक्ति का जज्बा उनमें कूट-कूटकर भरा था. सेना में भर्ती होने के बाद पाकिस्तान के साथ लड़े गये युद्ध में बचपन का उनका शिकार कौशल बहुत काम आया.

अल्बर्ट एक्का की अंतड़ियां आ गईं थी बाहर

सूबेदार मेजर सहदेव महतो बताते हैं कि पाकिस्तानी सैनिकों से लोहा लेते हुए उनकी पेट में कई गोलियां लगीं. दुश्मन की कितनी गोलियां अल्बर्ट एक्का के पेट में लगी होगी, इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि उनकी अंतड़ियां बाहर आ गईं थीं. बावजूद इसके अल्बर्ट एक्का ने हार नहीं मानी. उन्होंने अपनी अंतड़ियों को अपने हाथ से पेट के अंदर डाला. फिर पेट को कपड़े से बांधकर दुश्मन के बंकर में घुस गए.

गुमला जिले के रहने वाले सूबेदार मेजर सहदेव महतो ने भी लड़ी थी 71 की भारत-पाक जंग. फोटो : जगरनाथ महतो

दुश्मन के बंकर को ग्रेनेड से कर दिया ध्वस्त

दुश्मन के बंकर में घुसकर उन्होंने अपनी एलएमजी (बंदूक) का मुंह खोल दिया. पाकिस्तान के कई सैनिकों को ढेर करने के बाद बंकर में ग्रेनेड फेंककर वहां से भाग गए. अब वह बेहद गंभीर रूप से घायल हो चुके थे. उन्हें इलाज के लिए अस्पताल ले जाया गया, लेकिन उनको बचाया नहीं जा सका. सूबेदार कहते हैं कि जिस वक्त अल्बर्ट एक्का लड़ रहे थे, उन्हें अपनी जान की परवाह नहीं थी. उनका एक ही लक्ष्य था, अधिक से अधिक दुश्मन को मार गिराना.

अल्बर्ट एक्का को मरणोपरांत मिला परमवीर चक्र

भारत ने अपने इस वीर सपूत को मरणोपरांत भारतीय सेना के सर्वोच्च सम्मान ‘परमवीर चक्र’ से सम्मानित किया. अल्बर्ट एक्का की पत्नी बलमदीना एक्का ने राष्ट्रपति भवन में तत्कालीन राष्ट्रपति वीवी गिरि से यह पुरस्कार ग्रहण किया था. हिली के युद्ध में शहीद हुए अल्बर्ट एक्का के पुत्र का नाम विंसेंट एक्का है. अप्रैल 2021 में उनकी पत्नी बलमदीना एक्का का निधन हो गया.

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