झारखंड: अब सभी पुलिस थाने होंगे सीसीटीवी कैमरों की निगरानी में, हाईकोर्ट ने गृह सचिव व डीजीपी को दिया निर्देश
डीजीपी के शपथ पत्र को देखते हुए अदालत ने कहा कि यह अजीब बात है कि केवल दो तारीखों का सीसीटीवी फुटेज पुलिस को कैसे नहीं मिला? सवाल यह है कि झारखंड में धनबाद जैसी जगह, जहां अपराध दर बहुत अधिक है, वहां इस तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है?
रांची: झारखंड हाईकोर्ट के जस्टिस संजय कुमार द्विवेदी की अदालत ने क्रिमिनल रिट याचिका पर सुनवाई के बाद राज्य सरकार को सभी पुलिस थानों व उसके परिसर को सीसीटीवी कैमरे के दायरे में लाने का आदेश दिया है. सीसीटीवी कैमरा उच्च गुणवक्तावाला होना चाहिए, जो 18 माह तक डाटा संग्रहित कर सके. अदालत ने राज्य के गृहसचिव व डीजीपी को आदेश अनुपालन करने का निर्देश दिया है. अदालत ने कहा कि यह भी सुनिश्चित किया जायेगा कि पुलिस स्टेशन का कोई भी हिस्सा खुला न रहे और इसे सभी प्रवेश व निकास बिंदुओं, मुख्य द्वार, सभी लॉक-अप पर स्थापित किया जाना चाहिए. सभी गलियारे, रिसेप्शन क्षेत्र की लॉबी, सभी बरामदे, आउट हाउस, इंस्पेक्टर का कमरा, सब-इंस्पेक्टर का कमरा, लॉक-अप रूम के बाहर का क्षेत्र, स्टेशन हॉल, पुलिस स्टेशन परिसर के सामने, शौचालय/शौचालय के बाहर (अंदर नहीं), ड्यूटी ऑफिसर का कमरा, पुलिस स्टेशन का पिछला हिस्सा समेत अन्य क्षेत्रों में सीसीटीवी कैमरा लगाया जाये. चेक बाउंस से जुड़े केस में प्रार्थी धनबाद की अदालत में जमानत के लिए आया था, लेकिन वहां की बैंक मोड़ थाना की पुलिस ने उसे दो दिनों तक अवैध तरीके से थाना में बैठा कर रखा. सारी घटना थाने में लगे सीसीटीवी में रिकॉर्ड है, लेकिन जब हाईकोर्ट ने डीजीपी से 31 मई 2023 से लेकर एक जून 2023 तक बैंक मोड़ थाना में लगे सीसीटीवी कैमरे का रिकॉर्ड मांगा, तो उनकी ओर से व्यक्तिगत शपथ पत्र दायर किया गया.
तीन माह में लगाएं कैमरा
अदालत ने कहा कि तीन माह के अंदर कैमरा लगाना सुनिश्चित करें. डीजीपी के शपथ पत्र को देखते हुए अदालत ने कहा कि यह अजीब बात है कि केवल दो तारीखों का सीसीटीवी फुटेज पुलिस को कैसे नहीं मिला? सवाल यह है कि झारखंड में धनबाद जैसी जगह, जहां अपराध दर बहुत अधिक है, वहां इस तरह की कार्रवाई क्यों नहीं की जाती है? पुलिस विभाग के साथ-साथ झारखंड सरकार भी सीसीटीवी का समुचित रख-रखाव करे. इससे पूर्व प्रार्थी की ओर से अधिवक्ता इंद्रजीत सिन्हा, अधिवक्ता अजय शाह ने पक्ष रखा. उल्लेखनीय है कि प्रार्थी प्रॉपर्टी रिएल्टी प्राइवेट लिमिटेड, शौभिक बनर्जी व अन्य की ओर से क्रिमिनल रिट याचिका दायर की गयी थी.
क्या है पूरा मामला
चेक बाउंस से जुड़े केस में प्रार्थी धनबाद की अदालत में जमानत के लिए आया था, लेकिन वहां की बैंक मोड़ थाना की पुलिस ने उसे दो दिनों तक अवैध तरीके से थाना में बैठा कर रखा. सारी घटना थाने में लगे सीसीटीवी में रिकॉर्ड है, लेकिन जब हाईकोर्ट ने डीजीपी से 31 मई 2023 से लेकर एक जून 2023 तक बैंक मोड़ थाना में लगे सीसीटीवी कैमरे का रिकॉर्ड मांगा, तो उनकी ओर से व्यक्तिगत शपथ पत्र दायर किया गया. जिसमें उन्होंने कहा कि बैंक मोड़ थाना में 12 सीसीटीवी कैमरे हैं. उसके विश्लेषण में पाया गया कि 12 कैमरों की सीसीटीवी फुटेज डीवीआर की मेमोरी में उपलब्ध नहीं थी, क्योंकि इसमें केवल 10 दिनों का वीडियो फुटेज स्टोर करने की क्षमता है. इसलिए 31 मई से एक जून 2023 का कोई सीसीटीवी फुटेज नहीं मिल सका.