झारखंड में कांग्रेस विधायक अंबा प्रसाद व पूर्व मंत्री योगेंद्र साव समेत 17 के ठिकानों पर ईडी की रेड, जानें क्या है पूरा मामला
ईडी ने विधायक अंबा प्रसाद और उससे जुड़े 17 लोगों के ठिकानों पर छापा मारा है. ये कार्रवाई जमीन और बालू से जुड़े मामले पर हो रही है.
रांची: हजारीबाग के बड़कागांव विधानसभा क्षेत्र से कांग्रेस की विधायक अंबा प्रसाद के रांची और हजारीबाग के विभिन्न ठिकानों पर ईडी ने छापेमारी की. ईडी की टीम ने बड़कागांव विधायक, उनके पिता व पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के अलावा शशि भूषण सिंह समेत कुल 17 लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की है. बताया जाता है कि ये कार्रवाई कथित रूप से अवैध बालू खनन और वसूली के मामले में प्रिवेंशन ऑफ मनी लाउंड्रिंग एक्ट को आधार बनाते हुए की गयी है. सूचना के मुताबिक ये सभी लोग विधायक अंबा प्रसाद के रिश्तेदार व करीबी बताया जाते हैं. छापेमारी के दौरान बड़ी संख्या में सीआरपीएफ के जवान मौजूद थे.
किन-किन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी
ईडी ने जिन लोगों के ठिकानों पर छापेमारी की है, उनमें पूर्व मंत्री योगेंद्र साव के साथ-साथ उनके भाई धीरेंद्र साव, साला मुकेश साव के हजारीबाग स्थित घर और केरेडारी के राजू साव शामिल हैं. इसके अलावा हजारीबाग जिला तेली समाज के अध्यक्ष सह व्यवसायी राजेंद्र साव के हजारीबाग खजांची तालाब रोड स्थित आवास पर भी ईडी ने रेड की है.
कौन हैं अंबा प्रसाद
अंबा प्रसाद ने अपनी राजनीति की शुरूआत साल 2019 से की थी. उन्होंने बड़कागांव विधानसभा सीट से 27 साल की उम्र में चुनाव जीतकर इतिहास बनाया था. उन्होंने आजसू पार्टी के प्रत्याशी रोशनलाल चौधरी को 30,140 वोटों से हराया था. जानकारी के मुताबिक वह दिल्ली में यूपीएससी कर रही थीं लेकिन मात व पिता को जेल हो जाने के कारण उन्हें वापस लौटना पड़ा. इसके बाद उन्होंने पिता की विरासत संभाली.
अंबा प्रसाद के पिता रह चुके हैं मंत्री
अंबा प्रसाद के पिता योगेंद्र साव की बात करें तो वे साल 2009 के विधानसभा चुनाव में बड़कागांव सीट से विधायक बने थे. इसके बाद वे वर्ष 2013 में हेमंत सोरेन सरकार में मंत्री बने, लेकिन नक्सलियों से संबंध होने के आरोप लगने के बाद उन्हें अपने पद से इस्तीफा देना पड़ा. एनटीपीसी प्रोजेक्ट के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की वजह से भी उन्हें जेल में रहना पड़ा. योगेंद्र प्रसाद साव के जेल में जाने के बाद उसी विधानसभा सीट से उनकी पत्नी निर्मला देवी ने साल 2014 में चुनाव लड़ीं, जिसमें उन्हें जीत हासिल हुई, लेकिन 2016 में हुए एक गोलीकांड के बाद उन्हें भी गिरफ्तार कर लिया गया था.