Amitabh Choudhary Death: तेज-तर्रार आईपीएस अधिकारी और कुशल खेल प्रशासक रहे डॉ अमिताभ चौधरी के निधन के बाद उनकी बीमारी और उनके शरीर में लगी एक मशीन की खूब चर्चा हो रही है. रांची के जाने-माने कार्डियोलॉजिस्ट डॉ दीपक गुप्ता ने बताया है कि झारखंड पब्लिक सर्विस कमीशन (जेपीएससी) के पूर्व अध्यक्ष और भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड (बीसीसीआई) के पूर्व सचिव को कार्डियोमायोपैथी थी.
डॉ गुप्ता ने बताया कि उनकी मौत हार्ट अटैक से नहीं, कार्डियोमायोपैथी बीमारी की वजह से हुई. उन्होंने बताया कि इस बीमारी की वजह से व्यक्ति का हृदय (Heart) काफी बड़ा हो जाता है. इसकी वजह से पंपिंग फंक्शन काफी कमजोर हो जाता है. इसमें दिल का दौरा पड़ने से अचानक मौत (Sudden Cardiac Death) बहुत सामान्य बात है.
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उन्होंने बताया कि वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया या वेंट्रिकुलर फाइब्रिलेशन की वजह से सडेन कार्डियक डेथ होता है. इसके लिए डिफिब्रिलेशन शॉक दिया जाता है. पम्पिंग फंक्शन बढ़ाने के लिए और अंदर-अंदर डिफिब्रिलेशन शॉक देने के लिए एक डिवाइस लगाया जाता है, जिसे सीआरटी-डी (CRT D) कहते हैं.
अमिताभ चौधरी के हर्ट में इस डिवाइस को लगाया गया था. दिल्ली में यह डिवाइस लगायी गयी थी. डॉ गुप्ता ने कहा कि वह अमिताभ चौधरी को लगभग 5 साल से देख रहे थे. उनका दिल काफी कमजोर था. बावजूद इसके वह बाहर से काफी फिट दिखते थे.
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डॉ गुप्ता ने बताया कि सोमवार की आधी रात को उनको वेंट्रिकुलर टैचीकार्डिया का एपिसोड हुआ और सुबह वह बेहोश पाये गये. डॉ गुप्ता ने बताया कि मुझे सुबह करीब 7:30 बजे खबर मिली कि अमिताभ चौधरी को सैंटेविटा हॉस्पिटल में एडमिट करवाया गया है. मैं तुरंत बरियातू स्थित अपने घर से सैंटेविटा हॉस्पिटल पहुंचा.
डॉ गुप्ता ने बताया कि जब वह अस्पताल पहुंचे, तो अमिताभ चौधरी को CPR चल रहा था. उन्होंने कहा कि अशोक नगर से हॉस्पिटल तक आने में कम से कम 20 मिनट लगे होंगे. अमिताभ चौधरी को जब हॉस्पिटल लाया गया, तब तक उनके हार्ट ने काम करना बंद कर दिया था. उनको कार्डियक अरेस्ट हो चुका था.
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उन्होंने बताया कि एक घंटा तक अमिताभ चौधरी को कार्डियक मसाज किया गया और उन्हें वेंटिलेटर पर रखा गया. बहुत कोशिश के बाद भी उन्हें नहीं बचाया जा सका. उन्होंने कहा कि आमतौर पर इसे हार्ट अटैक नहीं कहते. मायोकार्डिया इन्फ्रैक्शन को हार्ट अटैक कहते हैं. इसमें हार्ट की धमनियां यानी कोरोनरी आर्टरी में ब्लॉकेज हो जाता है. इसके लिए एंजियोग्राफी और एंजियोप्लास्टी करनी पड़ती है.