अमिताभ चौधरी : जिसकी चमक कभी खत्म नहीं होनेवाली

झारखंड के कुशल प्रशासक अमिताभ चौधरी हमारे बीच नहीं रहे. उनका व्यक्तित्व उनके नाम के अनुरूप ही था. दरअसल, अमिताभ का अर्थ होता है ‘कभी समाप्त नहीं होनेवाला प्रकाश’. प्रखर बुद्धि वाले को भी अमिताभ कहा जाता है. इंजीनियर से आइपीएस और अंत में जेपीएससी अध्यक्ष तक का उनका सफर उपलब्धियों भरा रहा.

By Prabhat Khabar News Desk | August 17, 2022 12:50 PM

Jharkhand News: झारखंड के कुशल प्रशासक अमिताभ चौधरी हमारे बीच नहीं रहे. उनका व्यक्तित्व उनके नाम के अनुरूप ही था. दरअसल, अमिताभ का अर्थ होता है ‘कभी समाप्त नहीं होनेवाला प्रकाश’. प्रखर बुद्धि वाले को भी अमिताभ कहा जाता है. इंजीनियर से आइपीएस और अंत में जेपीएससी अध्यक्ष तक का उनका सफर उपलब्धियों भरा रहा. साहसी, सकारात्मक और अनुशासन प्रिय अमिताभ के खेल प्रेम ने उन्हें बीसीसीआइ के कार्यकारी सचिव व जेएससीए के अध्यक्ष पद तक पहुंचाया. समाजसेवी होने के साथ राजनीति में भी उनकी दखल थी. यह श्रद्धांजलि उस अमिताभ को, जिसे आनेवाली पीढ़ियां उनके कीर्तिमानों के लिए याद करेंगी…

सुरेंद्र बंगाली व अनिल शर्मा को गिरफ्तार कर हुए चर्चित

आइपीएस अधिकारी अमिताभ चौधरी ने रांची (उस वक्त बिहार) में 23 अप्रैल 1997 में एसएसपी के रूप में योगदान दिया था. जिस वक्त अमिताभ चौधरी ने यहां योगदान दिया था, तब कुख्यात अपराधकर्मी सुरेंद्र बंगाली और अनिल शर्मा की तूती बोलती थी. वहीं अनिल साहू, देवेन गोप, बिट्टू कच्छप, विजय सोनी, उद्दीन गिरोह, एकराम, काना सज्जाद सहित कई अपराधियों का खौफ था. अमिताभ चौधरी ने योगदान देने के साथ ही एक के बाद एक कुख्यात अपराधियों को सलाखों के पीछे डालना शुरू कर दिया था, जबकि कई को मार गिराया था. इसी कड़ी में रांची पुलिस के लिए सिरदर्द बने सुरेंद्र बंगाली को अमिताभ चौधरी ने कोलकाता से गिरफ्तार किया था, जबकि अनिल शर्मा को नोएडा से धर दबोचा था. सुरेंद्र बंगाली की निशानदेही पर टाटीसिलवे के एक व्यवसायी के घर से एके-47 राइफल बरामद हुई थी. इसके अलावा उद्दीन गिराेह के अपराधी एकराम का इनके कार्यकाल में एनकाउंटर हुआ था. इसी तरह कांटाटोली बस स्टैंड (खादगढ़ा) में आतंक का पर्याय बने काना सज्जाद को भी एनकाउंटर में मार गिराया गया था. वह 23 अप्रैल 1997 से सात जनवरी 2000 तक एसएसपी के पद पर रहे.

रंगदारों पर टूट पड़े थे अमिताभ चौधरी

रांची में उस वक्त बगैर रंगदारी दिये घर या अपार्टमेंट बनाना मुश्किल था. बरियातू रोड में एक बिल्डर अपार्टमेंट बनवा रहा था. उससे अपराधी अनिल साहू ने रंगदारी मांगी थी. सूचना मिलते ही एसएसपी अमिताभ चौधरी ऑन स्पाॅट पहुंचे थे और अपराधियों को खदेड़ा था़ उसके बाद अपराधियों ने बिल्डरों से रंगदारी मांगना छोड़ दिया था. उनके कार्यकाल में ही जगदीश प्रसाद नामक बड़े ठेकेदार के पुत्र का अपहरण हुआ था. उसे 24 घंटे के अंदर बरामद किया गया था. इस दौरान रंगदारी वसूलने पहुंचे तीन गैंगस्टर को कार्टसराय रोड में मुठभेड़ में मार गिराया गया था.

शाम होते मेन रोड में बंद हो जाती थीं दुकानें, चौधरी ने स्थिति की थी सामान्य

वर्ष 1997 में रांची में अपराधियों का आतंक चरम पर था. स्थिति यह थी कि अंधेरा होने से पहले ही लोग अपने घर के अंदर दुबक जाते थे. मेन रोड में दुकानों की शटर शाम छह बजे गिर जाया करती थी. अमिताभ चौधरी के कार्यालय में रीडर रहे रंजीत सिंह ने बताया कि रात में कोई भी ट्रेन जब स्टेशन पर आती थी, तब लोग रात भर स्टेशन पर ही रुकना सही समझते थे और सुबह होने का इंतजार करते थे. अमिताभ चौधरी ने पुलिसकर्मियों को मुस्तैद किया, जिससे यात्रियों का राहत मिली. रंजीत सिंह के अनुसार अमिताभ चौधरी ओड़िया, गुरूमुखी, बंगाली, मैथिली, अंग्रेजी, हिंदी व विदेशी भाषा सहित नौ भाषाओं के जानकार थे़ रंजीत सिंह ने बताया कि टेलीफोन एक्सचेंज के समीप रहनेवाले एक नामी व्यवसायी से अपराधियों रंगदारी मांगी थी़ नहीं देने पर जान से मारने की धमकी दी थी. बाद में एसएसपी की कार्रवाई के बाद अपराधी को गिरफ्तार किया गया था.

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