आम्रपाली परियोजना : आठ दिन से उत्पादन ठप, 100 करोड़ का नुकसान
स्थानीय लोगों के विरोध के कारण सीसीएल की सबसे बड़ी परियोजना आम्रपाली से आठ दिनों से उत्पादन और डिस्पैच बंद है. इससे सीसीएल, राज्य सरकार और रेलवे को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है.
रांची : स्थानीय लोगों के विरोध के कारण सीसीएल की सबसे बड़ी परियोजना आम्रपाली से आठ दिनों से उत्पादन और डिस्पैच बंद है. इससे सीसीएल, राज्य सरकार और रेलवे को करीब 100 करोड़ रुपये का नुकसान हो चुका है. यहां से हर दिन करीब 7000 टन कोयला निकलता है. यहां से सीसीएल की कुल ढुलाई का करीब एक तिहाई कोयला निकलता है. सीसीएल ने आर्थिक नुकसान रोकने के लिए जिला प्रशासन से हस्तक्षेप का आग्रह किया है. वहीं, रेलवे ने डीजीपी और मुख्य सचिव को पत्र लिखकर इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है.
पूर्व मध्य रेलवे के महाप्रबंधक एलसी त्रिवेदी ने डीजीपी एमवी राव और सीएस सुखदेव सिंह को लिखा है कि राज्य में कई स्थानों पर रेलवे साइडिंग से कोयला उठाव रोक दिया जाता है. इससे रेलवे को आर्थिक क्षति होती है. स्थानीय लोगों के विरोध के कारण 17 अगस्त से ही सीसीएल के फुलबसिया और शिवपुर साइडिंग से कोयला डिस्पैच नहीं हो रहा है. इससे रेलवे को प्रतिदिन करीब छह से सात करोड़ रुपये का नुकसान हो रहा है. यहां से हर दिन करीब 12 रैक कोयला दूसरे राज्यों में भेजा जाता है.
पूर्व के मामलों का भी किया जिक्र : महाप्रबंधक श्री त्रिवेदी ने पूर्व में भी कोयला ढुलाई रोक दिये जाने का भी जिक्र अपने पत्र में किया है. उन्होंने लिखा है कि 26 जून 2020 से 19 अगस्त तक राजधर रेलवे साइडिंग से ढुलाई का काम स्थानीय लोगों द्वारा रोक दिया गया था. हजारीबाग टाउन के नजदीक स्थित बानाडांग साइडिंग (एनटीपीसी) से ग्रामीणों ने छह से 25 जुलाई तक ढुलाई रोक दी थी.
महाप्रबंधक ने लिखा है कि पूरे देश में 22 मार्च से पैसेंजर रेलवे का परिचालन रुका हुआ है. इससे रेलवे को काफी नुकसान हो रहा है. कोयले की ढुलाई रोक दिये जाने से पावर हाउस को भी परेशानी हो रही है. उन्होंने लिखा है कि धनबाद डिविजन में भी बार-बार कोयले की ढुलाई रोक दी जाती है.
सीसीएल ने चतरा जिला प्रशासन को लिखा पत्र : सीसीएल ने चतरा जिला प्रशासन को पत्र लिखा है. इस मामले में हस्तक्षेप करने का आग्रह किया है. कंपनी के निदेशक वित्त एनके अग्रवाल ने लिखा है कि आम्रपाली के शिवपुर साइडिंग से हर दिन करीब 12 रैक रेलवे से तथा करीब 10 हजार टन रोड से कोयले की ढुलाई होती है.
इसे ग्रामीणों ने रोक दिया है. इससे राज्य सरकार को करीब 2.31 करोड़ रुपये का नुकसान रॉयल्टी, जीएसटी, एनएमइसी आदि में हो रहा है. यही स्थिति बनी रही तो कंपनी को इस कोविड-19 के समय में भारी नुकसान हो सकता है. प्रशासन से आग्रह किया है कि मामले में हस्तक्षेप कर विधि व्यवस्था दुरुस्त करायें.
उत्तर भारत में जाता है यहां का कोयला : यहां का कोयला उत्तर भारत (दिल्ली, हरियाणा, पंजाब आदि राज्यों) में जाता है. पिछले नौ दिनों से कोयला नहीं जाने से वहां स्टॉक लिमिट भी खत्म हो रही है. इसकी सूचना पावर कंपनियों ने सीसीएल को दी है. आग्रह किया है कि जल्द से जल्द कोयले दिया जाये. जिससे देश की राजधानी सहित आसपास के राज्यों में निर्बाध रूप से बिजली मिल सके.
Post by : Pritish Sahay