सरहुल शोभायात्रा की झांकी में दिखा केंद्र की नीतियों के खिलाफ गुस्सा : झामुमो

झामुमो ने कहा कि इसमें केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध साफ तौर देखा गया. चाहे वह आदिवासी धर्म कोड की मांग हो, नया फॉरेस्ट एक्ट के जरिये जंगल को बर्बाद करने, कोल बेयरिंग एक्ट हो या फिर जल, जंगल और जमीन से आदिवासियों को बेदखल करने का मामला

By Prabhat Khabar News Desk | April 12, 2024 6:54 PM

रांची. सरहुल शोभायात्रा में निकाली गयी झांकी पर झामुमो ने कहा कि इसमें केंद्र सरकार की नीतियों का विरोध साफ तौर देखा गया. चाहे वह आदिवासी धर्म कोड की मांग हो, नया फॉरेस्ट एक्ट के जरिये जंगल को बर्बाद करने, कोल बेयरिंग एक्ट हो या फिर जल, जंगल और जमीन से आदिवासियों को बेदखल करने का मामला या फिर चुनावी बॉन्ड का मसला. इससे यह साबित होता है कि केंद्र सरकार की आदिवासी विरोधी नीतियों से आदिवासी समाज में गुस्सा है. यह बात झामुमो के महासचिव सुप्रियो भट्टाचार्य ने प्रदेश कार्यालय में आयोजित प्रेस कांफ्रेंस में कही. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि हसदेवा जंगल के बाद केंद्र की नजर अब राज्य के सारंडा जंगल पर है. आदिवासियों के इन इश्यू पर भाजपा खामोश क्यों है, उसे जवाब देना चाहिए. उन्होंने कहा कि आप भले ही झांकियों को लेकर प्राथमिकी दर्ज करा दें, मगर जनता के आक्रोश को कैसे दबा पाओगे. यह जनता और आदिवासी समाज का गुस्सा है, जो सड़कों पर दिखा. अभी तो यह झांकी है, मोदी सरकार के कॉरपोरेट हितैषी नीतियों का विरोध आने वाले दिनों में और बढ़ेगा. श्री भट्टाचार्य ने कहा कि धार्मिक आयोजनों से पार्टी को मतलब नहीं होता है. पर चुनाव आयोग होता कौन है एफआइआर कराने वाला. सामाजिक संगठनों के लोग चुनाव आयोग से मिल कर एतराज जतायेंगे.

महारैली में सभी असली सनातनी हिस्सा लेंगे

श्री भट्टाचार्य ने कहा कि कुछ लोग कह रहे हैं कि 21 के उलगुलान महारैली में गैर सनातनी लोग हिस्सा लेंगे. मगर मैं यह कहना चाहता हूं कि इस रैली में असली सनातनी लोग हिस्सा लेंगे. इसमें सनातनी के नाम पर ढोंग करनेवाले नहीं आयेंगे. ये लोग प्रज्जवलित अग्नि के समक्ष लिए गये संकल्प के विरुद्ध कार्य करनेवाले सनातनी हैं. ये लाेग सनातनी के कर्मकांड पर विश्वास नहीं करते हैं.

वित्त मंत्री ने फिर दिलवाया पार्टी को चंदा

श्री भट्टाचार्य ने कहा कि सुप्रीम कोर्ट की कड़ी दबिश के बावजूद केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण की पहल से एसीबीआइ ने भाजपा के खाते में 356 करोड़ रुपये गैरकानूनी रूप से हस्तांतरित कराये. यह वही सीतामरण जी हैं, जो कहती हैं उनके पास चुनाव लड़ने का पैसे नहीं है. यह एसबीआइ आम लोगों का बैंक नहीं रहा. यह बैंक भाजपा को चंदा उपलब्ध कराने का एक माध्यम बनकर रह गया है.

Next Article

Exit mobile version