अनुज लुगुन को मलखान सिंह सिसौदिया पुरस्कार तो जसिंता केरकेट्टा को मिलेगा AIPP मीडिया फेलोशिप

अनुज लुगुन आज के समय के बेहद चर्चित युवा कवि हैं. अब तक उनके तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. कविता संग्रह ‘अघोषित उलगुलान’ की कविताएं आदिवासी जीवन का प्रतिबिंब हैं.

By Sameer Oraon | July 13, 2024 9:25 AM
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रांची : युवा कवि एवं दक्षिण बिहार केंद्रीय विश्वविद्यालय गया में सहायक प्रोफेसर डॉ अनुज लुगुन को वर्ष 2023 का ‘मलखान सिंह सिसौदिया पुरस्कार’ देने की घोषणा की गयी है. केपी सिंह मेमोरियल चैरिटेबल ट्रस्ट की अध्यक्ष नमिता सिंह और जनवादी लेखक संघ के केंद्रीय संयुक्त महासचिव नलिन रंजन सिंह ने विज्ञप्ति जारी कर यह जानकारी दी है. श्री लुगुन को यह पुरस्कार उनके कविता संग्रह ‘अघोषित उलगुलान’ के लिए दिया जायेगा. पुरस्कार समारोह छह अक्तूबर को उत्तरप्रदेश की राजधानी लखनऊ में आयोजित किया जायेगा.

गौरतलब है कि सुप्रसिद्ध कवि मलखान सिंह सिसौदिया द्वारा 2007 में स्थापित यह पुरस्कार प्रतिवर्ष किसी युवा कवि को दिया जाता है. पूर्व में यह पुरस्कार चर्चित कवि दिनेश कुशवाह, एकांत श्रीवास्तव, श्रीप्रकाश शुक्ल, शैलेय, अशोक तिवारी, भरत प्रसाद, संजीव कौशल, निशांत, संतोष चतुर्वेदी, रमेश प्रजापति, प्रदीप मिश्र, विशाल श्रीवास्तव, ज्ञान प्रकाश चौबे, बच्चा लाल ‘उन्मेष’ और शंकरानंद को दिया जा चुका है.

अनुज लुगुन आज के समय के बेहद चर्चित युवा कवि हैं. अब तक उनके तीन कविता संग्रह प्रकाशित हो चुके हैं. कविता संग्रह ‘अघोषित उलगुलान’ की कविताएं आदिवासी जीवन का प्रतिबिंब हैं. जल, जंगल, जमीन के खिलाफ खड़ी शक्तियों के विरुद्ध इनमें विद्रोह का स्वर है. कविताओं में पर्यावरण और प्रकृति के संरक्षण के आह्वान के साथ कवि हाशिये पर डाल दिये गये लोगों के साथ खड़ा है.

उलगुलान हमारी सामूहिक चेतना की बुनियाद है : लुगुन

अनुज लुगुन ने कहा कि ‘उलगुलान’ हमारी सामूहिक चेतना की बुनियाद है. यह आदिवासियत की जमीन पर खड़े मनुष्य की गरिमा, उसकी मुक्ति और सहजीवियों के साथ सह-अस्तित्व का दर्शन है. यह हमारी प्रेरणा है और मार्गदर्शक भी. उन्होंने कहा कि ‘अघोषित उलगुलान’ सांस्कृतिक वर्चस्व और ऐतिहासिक अन्याय का काव्यात्मक प्रतिरोध है.

प्रो जेसिका स्पेन में प्रस्तुत करेंगी अपना शोध पत्र

संत जेवियर कॉलेज रांची के वनस्पति विज्ञान विभाग की सहायक प्राध्यापिका व रिसर्च स्कॉलर जेसिका हांसदा के शोध कार्य को 20वें अंतरराष्ट्रीय वानस्पतिक सम्मेलन के लिए चयनित किया गया है. यह सम्मेलन स्पेन की राजधानी मद्रीद में 15 से 19 जुलाई तक आयोजित किया जायेगा. प्रो जेसिका 13 जुलाई को रांची से स्पेन के लिए रवाना होंगी. इस सम्मेलन में वह वे टेक्नोनॉमिकल स्टडीज ऑन लिव्स ऑफ ब्यूटिया मोनोस्पर्मा, डलवर्जिया सिसू, फैसियोलस वलगैरिस एंड पाइसम सैटाइवम एल विषय पर अपना शोध पत्र प्रस्तुत करेंगी. प्रो जेसिका को विभागाध्यक्ष डॉ अजय श्रीवास्तव सहित अन्य ने शुभकामनाएं दी हैं.

जसिंता केरकेट्टा को मिला एआइपीपी मीडिया फेलोशिप

एशिया इंडिजिनस पीपुल्स पैक्ट, थाईलैंड ने झारखंड की युवा कवयित्री और लेखिका जसिंता केरकेट्टा को ‘एआइपीपी मीडिया फेलोशिप-2024’ दिया है. यह फेलोशिप, आदिवासियों द्वारा स्वयं अपने मुद्दों को सटीक तरीके से लिखने, मीडिया में आदिवासियों की आवाज को मजबूत करने के लिए दिया जाता है. इसके तहत जसिंता, आदिवासियों के जमीन के मुद्दों, स्त्रियों की स्थिति और अन्य विषयों पर रिपोर्ट लिखेंगी. जसिंता आदिवासियों की स्थिति को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर रखने के लिए अलग-अलग विधा में लगातार लिख रही हैं. एआइपीपी, थाईलैंड ने 2014 में ही उन्हें ‘वॉयस ऑफ एशिया’ के रिकोग्निशन अवॉर्ड से भी नवाजा था.

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