रांची. मुख्य सचिव अलका तिवारी ने कहा कि वास्तुकला एक ऐसी कला है, जो अलग-अलग शहर में अपनी अलग विशेषता के अनुसार पायी जाती है. लद्दाख की वास्तुकला एवं केरल की वास्तुकला में काफी भिन्नता है. वास्तुविद को व्यक्ति की जरूरतों के अनुसार डिजाइन करना चाहिए. ऊर्जा बचाते हुए भवन बनाना चाहिए. चाहे वह बिजली, जल या ईंधन हो. ऊर्जा संरक्षण को हमेशा ध्यान में रखना चाहिए. मगरपट्टा सिटी, पुणे में कम से कम वाहन चलाने का प्रचलन है. ऐसी सिटी देश के बाकी शहरों भी बसानी चाहिए. मुख्य सचिव शनिवार को रांची में चल रहे दो दिवसीय पूर्वी भारत वास्तुविद सम्मेलन 2024 “पूर्वोदय ” के दूसरे दिन तकनीकी सत्र में बतौर मुख्य अतिथि बोल रही थीं.
वास्तुकारों ने अपनी वास्तुकला पर चर्चा की
कार्यक्रम में वास्तुविद विवेक सिंह राठोर (कोलकाता), खुशरु ईरानी (पुणे), साहिल तनवीर (हुबली, कर्नाटक), मोनीष श्रीपुरापू (नयी दिल्ली) एवं अबीन चौधरी (कोलकाता) ने अपनी वास्तुकला योजना पर चर्चा की. आज कई प्रतियोगिता आयोजित की गयी. कार्यक्रम का संचालन वास्तुविद अनुपम देव एवं अनुराग ने किया. मौके पर वरिष्ठ वास्तुविद नलिन गोयल, डॉ रितु अग्रवाल अमित बारला, गोपीकांत महतो, नितेश पाल नाग, अभिषेक सिंह, अनूप कुमार, एस हांसदा, सौरभ टोप्पो, हर्ष राज, देव कुमार राज, हर्षिता कश्यप, अंकित, अक्षत भेल, अनुषा सिन्हा, अनिला सुरीन, सुजीता आर्या, राहुल सुरीन आदि मौजूद थे.
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