झारखंड के सरकारी स्कूल में दाखिला लेने वालों की संख्या बढ़ी तो ट्यूशन लेने वाले भी बढ़े- रिपोर्ट
झारखंड के सरकारी स्कूलों में नामांकन लेने वाले बच्चों की संख्या में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. सर्वे राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बीच किया गया है. ग्रामीण क्षेत्रों में में ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है.
झारखंड के ग्रामीण क्षेत्रों में सरकारी विद्यालयों में बच्चों का नामांकन बढ़ रहा है. ग्रामीण क्षेत्र के विद्यालयों में आठवीं कक्षा तक में नामांकित कुल बच्चों में से 83.3 फीसदी सरकारी विद्यालयों में पढ़ते हैं. असर 2022 की रिपोर्ट के अनुसार ग्रामीण इलाकों में निजी विद्यालयों में मात्र 14.6 फीसदी बच्चे ही पढ़ते हैं. एनुअल स्टेटस ऑफ एजुकेशन रिपोर्ट बुधवार को जारी की गयी. इसके के अनुसार वर्ष 2018 में राज्य के सरकारी विद्यालयों में नामांकित बच्चों की संख्या 78 फीसदी थी.
इस दौरान सरकारी स्कूलों में नामांकन लेने वाले बच्चों की संख्या में पांच फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. सर्वे राज्य के ग्रामीण क्षेत्र के बच्चों के बीच किया गया है. राज्य के ग्रामीण क्षेत्रों में में ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या भी बढ़ रही है.
रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में कक्षा एक से आठ तक के 36.9 फीसदी बच्चे ट्यूशन पढ़ते थे, इस वर्ष इसकी संख्या बढ़ कर 45.3 फीसदी हो गयी. इस दौरान ट्यूशन पढ़नेवाले बच्चों की संख्या में आठ फीसदी की बढ़ाेतरी हुई है. जबकि राष्ट्रीय स्तर पर इस दौरान ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या में चार फीसदी की बढ़ोतरी हुई है. राज्य में कक्षा बढ़ने के साथ ट्यूशन पढ़ने वाले बच्चों की संख्या भी बढ़ती है. सर्वे राज्य के 24 जिलों के 720 गांवों में किया गया. इनमें तीन वर्ष से 16 वर्ष तक के 28196 बच्चों को शामिल किया गया.
कक्षा तीन के बच्चे पढ़ने में हुए कमजोर
रिपोर्ट के अनुसार कक्षा तीन के बच्चे पढ़ाई में पहले की तुलना में कमजोर हुए है. रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2018 में कक्षा तीन के 18.7 फीसदी बच्चे कक्षा दो के स्तर का पाठ पढ़ सकते थे, पर वर्ष 2022 में यह संख्या घट कर 14.3 फीसदी हो गयी. रिपोर्ट के अनुसार कक्षा तीन के 16.4 फीसदी बच्चे अक्षर नहीं पहचान पाते हैं.
कक्षा पांच के 18.2 फीसदी बच्चे ही कक्षा एक के स्तर का पाठ पढ़ सकते हैं. रिपोर्ट के अनुसार कक्षा पांच में पढ़ने वाले 30.7 फीसदी बच्चे 11 से 99 तक के अंक को पहचान पाते हैं. जबकि 78 फीसदी बच्चे घटाव तो 76 फीसदी बच्चे भाग नहीं बना पाते. कक्षा छह के 25.3 फीसदी बच्चे घटाव तो 30.7 फीसदी बच्चे भाग बना पाते हैं. कक्षा सात के 25.4 फीसदी बच्चे घटाव तो 41.1 फीसदी बच्चे भाग बना पाते हैं. कक्षा आठ के 25.8 फीसदी बच्चे घटाव तो 45.3 फीसदी बच्चे भाग बना पाते हैं.
राज्य में अंग्रेजी की पढ़ाई में बच्चे कमजोर
राज्य में अंग्रेजी की पढ़ाई में बच्चे कमजोर है. कक्षा एक के 49.1 फीसदी बच्चे बड़े अक्षर नहीं पहचान पाते हैं. कक्षा के दो के 30 फीसदी, कक्षा तीन के 18.2 फीसदी, कक्षा चार के 12.2 फीसदी व कक्षा पांच के 7.8 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के बड़े अक्षर नहीं पहचान पाते हैं. कक्षा तीन के 6.8 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के वाक्य पढ़ सकते हैं, जबकि कक्षा आठ में 33.5 फीसदी बच्चे वाक्य पढ़ पाते हैं. ऐसे में कक्षा आठ के लगभग 77 फीसदी बच्चे अंग्रेजी के सरल वाक्य नहीं पढ़ पाते हैं.
रिपोर्ट की मुख्य बातें
82.1 फीसदी स्कूलों में पेयजल की सुविधा है पर 11.3 फीसदी स्कूलाें में पेयजल नहीं
राज्य के 21.1 फीसदी स्कूलों में शौचालय उपयाेग के लायक नहीं
27.1 फीसदी विद्यालयों में पुस्तकालय के पुस्तकों का उपयोग नहीं हो रहा
92.1 फीसदी स्कूलों में बिजली कनेक्शन, पर सर्वेक्षण के दिन 73.1 फीसदी स्कूलों में बिजली नहीं थी
91.5 फीसदी स्कूलों में बच्चों के उपयोग के लिए कंप्यूटर नहीं
राज्य में 89.6 फीसदी ऐसे विद्यालय हैं, जहां कक्षा एक व दो के बच्चे एक साथ बैठते हैं
सरकारी से अधिक निजी स्कूल के बच्चे पढ़ते हैं ट्यूशन
कक्षा सरकारी निजी
एक 33.6 50.0
दो 39.3 58.0
तीन 43.3 49.8
चार 43.2 56.4
कक्षा सरकारी निजी
पांच 47.5 54.3
छह 45.4 51.6
सात 47.4 50.6
आठ 50.0 56.8
सरकारी स्कूलों में वर्षवार नामांकन
2006
75.5
2010
85.4
2014
76.8
2018
78.0
2022
83.3