रांची : झारखंड की राजधानी रांची में तीन दिन से आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों के खिलाफ सोमवार (14 सितंबर, 2020) की शाम को बड़ी कार्रवाई की गयी. आंदोलनरत 2,350 सहायक पुलिसकर्मियों में से 1000 (एक हजार) पर प्राथमिकी दर्ज कर ली गयी है. इनमें से 20 लोगों को नामजद किया गया है. इससे पहले, सुबह एक बार फिर सरकार के प्रतिनिधियों के साथ इनकी वार्ता हुई, जो विफल रही. ये लोग अपनी मांगें पूरी होने तक आंदोलन पर डटे हुए हैं.
नक्सलियों से लड़ने के लिए तीन साल पहले बहाल किये गये 2,350 सहायक पुलिसकर्मियों का आंदोलन सोमवार (14 सितंबर, 2020) को तीसरे दिन भी जारी है. 12 जिलों से आये ये सहायक पुलिसकर्मी दिन की तपती धूप हो या रात, खुले आसमान के नीचे ऐतिहासिक मोरहाबादी मैदान में अपनी मांगों के समर्थन में डटे रहे. इन्हें राजनीतिक दलों का समर्थन भी मिलने लगा है. इस दौरान आंदोलन में शामिल महिलाओं को काफी दिक्कतों का सामना करना पड़ रहा है, क्योंकि कई महिलाओं की गोद में उनके छोटे-छोटे बच्चे भी हैं.
शनिवार (12 सितंबर, 2020) की रात को रांची रेंज के डीआइजी अखिलेश झा, रांची के एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा और गृह सचिव राजीव अरुण एक्का के साथ उनकी वार्ता विफल हो गयी थी. इसके बाद कोई सरकारी अधिकारी उनसे बात करने नहीं आया. शनिवार को अधिकारियों ने आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों से कहा था कि क्षेत्र में धारा 144 लगा हुआ है, इसलिए मोरहाबादी मैदान को खाली कर दें. लेकिन, आंदोलनकारी इस बात पर अड़े रहे कि जब तक मुख्यमंत्री उनसे बात नहीं करेंगे, वह अपनी जगह से नहीं हिलेंगे.
आंदोलनकारियों को विपक्षी दलों का समर्थन मिलने लगा है. भारतीय जनता पार्टी (भाजपा) के विधायक दल के नेता और झारखंड के प्रथम मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने इनके आंदोलन का समर्थन किया है. रविवार को वह खुद सहायक पुलिसकर्मियों से मिलने पहुंचे थे. उन्होंने कहा था, सहायक पुलिसकर्मियों ने जैसा बताया, उसके अनुसार हमें लगा कि कोई भी सरकार इतनी अमानवीय कैसे हो सकती है? लोकतंत्र में किसी को भी लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाने का हक है. आंदोलन के लिए ये लोग जब रांची आ रहे थे, तब रास्ते में इनके साथ जैसा सलूक किया गया, वह जांच का विषय है.’
Also Read: Jharkhand News : मुख्यमंत्री आवास का घेराव करने निकले झारखंड के सहायक पुलिसकर्मी वापस लौटे, जानिए क्या हैं इनकी मांगें ?श्री मरांडी ने कहा, ‘आंदोलन में महिलाएं भी शामिल हैं. उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे हैं, लेकिन इनकी भी परवाह नहीं की गयी. रास्ते में इन्हें जगह-जगह रोका गया. वाहन से उतार दिया गया. 70-80 किमी की दूरी पैदल तय करके ये लोग रांची पहुंचे हैं. सरकार को चाहिए कि जिस अफसर ने ऐसा कृत्य किया है, उसे सजा दे. इन पर डंडा बरसाना कहीं से भी न्यायसंगत नहीं है. रांची की मेयर आशा लकड़ा ने भी आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों से मुलाकात की. उन्होंने आश्वासन दिया कि इन्हें किसी प्रकार की दिक्कत नहीं होने देंगी.
मेयर ने सहायक पुलिसकर्मियों के लिए दरी व पेयजल के लिए दो टैंकर पानी उपलब्ध कराया. कहा कि इन पुलिसकर्मियों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए निगम की ओर से दो मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था की जायेगी. मेयर ने इस दौरान सहायक पुलिसकर्मियों के स्नान आदि के लिए चिल्ड्रन पार्क का शौचालय खोलने का आदेश दिया.
रांची नगर निगम की मेयर आशा लकड़ा ने कहा कि पिछली सरकार ने वरीयता के आधार पर सहायक पुलिसकर्मियों के स्थायीकरण का आश्वासन दिया था. 31 अगस्त को सहायक पुलिसकर्मियों की संविदा अवधि समाप्त हो चुकी है, परंतु राज्य सरकार ने इनके संविदा विस्तार या स्थायीकरण की दिशा में कोई पहल नहीं की है. यह दुर्भाग्यपूर्ण है.
Also Read: जिनको नक्सलियों से लड़ने के लिए दी थी नौकरी, उन सहायक पुलिसकर्मियों पर रांची में पुलिस ने बरसायी लाठियांअब आम आदमी पार्टी ने भी सहायक पुलिसकर्मियों के आंदोलन को जायज ठहराते हुए उन्हें अपना समर्थन दिया है. आम आदमी पार्टी ने कहा है कि ये सभी लोग अलग-अलग 12 उग्रवाद प्रभावित जिलों में नियुक्त किये गये थे. सरकार ने 10 हजार का मानदेय तय किया था. तीन साल बाद स्थायीकरण करने की बात कही थी. हालांकि, 3 वर्ष पूरा होने के बाद भी इन्हें स्थायी नहीं किया गया.
हजारीबाग के बरही विधानसभा से आम आदमी पार्टी के नेता संजय मेहता एवं हुसैनाबाद के नेता के विश्वा उनके आंदोलन का समर्थन करने के लिए मोरहाबादी मैदान में हैं. आम आदमी पार्टी के दोनों नेताओं ने कहा कि पुलिस खुद लॉ एंड ऑर्डर संभालती है. वही पुलिसकर्मी आज अपने हक और अधिकार के लिए लड़ रहे हैं, यह सच में दुःखद है. उन्होंने कहा कि ये सभी प्रशिक्षित पुलिसकर्मी हैं. नौकरी से हटा देने से इनके समक्ष बड़ी समस्या खड़ी हो जायेगी. इन्होंने उम्मीद जतायी कि सरकार जल्द इनकी मांगों पर विचार करेगी.
सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि 3 साल तक हमने दिन-रात सेवा दी. अब सरकार अपना वादा पूरा नहीं कर रही. सभी सहायक पुलिसकर्मी भुखमरी की कगार पर आ गये हैं. सरकार आगे कोई निर्णय नहीं ले रही. आश्वासन भी नहीं मिल रहा. इसलिए आंदोलन करने के लिए मजबूर हुए. आंदोलन कर रहे सहायक पुलिसकर्मियों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें नहीं मानी जायेंगी, वे मोरहाबादी मैदान में डटे रहेंगे.
Posted By : Mithilesh Jha