स्थायीकरण की मांग को लेकर दूसरे दिन भी मोरहाबादी में डटे रहे सहायक पुलिसकर्मी
राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2350 सहायक पुलिसकर्मी रविवार को भी स्थायीकरण की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में डटे रहे.
रांची : राज्य के 12 नक्सल प्रभावित जिलों के 2350 सहायक पुलिसकर्मी रविवार को भी स्थायीकरण की मांग को लेकर रांची के मोरहाबादी मैदान में डटे रहे. उनलोगों का कहना है कि जब तक उनकी मांगें पूरी नहीं की जायेंगी, वे आंदोलन पर डटे रहेंगे. वे लोग सीएम से वार्ता की मांग कर रहे थे.
लेकिन शाम तक पुलिस या प्रशासन की ओर से कोई वरीय अधिकारी वार्ता के लिए आये. दूसरी ओर आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों को शौचालय आदि जाने और बच्चों की देखभाल में काफी परेशानी हो रही है. मालूम हो कि मांग को लेकर शनिवार को सहायक पुलिस कर्मियों का एक प्रतिनिधिमंडल रांची रेंज डीआइजी अखिलेश झा, एसएसपी सुरेंद्र कुमार झा और गृह सचिव राजीव अरुण एक्का से मिला था, लेकिन वार्ता सफल नहीं हो सकी. बता दें कि स्थायीकरण की मांग को लेकर सात सितंबर से सहायक पुलिसकर्मी हड़ताल पर हैं.
शनिवार देर रात पुलिस ने धारा 144 का हवाला देकर 15 मिनट के अंदर मोरहाबादी मैदान खाली करने को सहायक पुलिसकर्मियों को कहा था, लेकिन वे लोग नहीं माने.
सहायक पुलिसकर्मियों को नहीं होने देंगे कोई परेशानी
मोरहाबादी मैदान में अपनी मांगों पर अड़े सहायक पुलिसकर्मियों से रविवार को मेयर आशा लकड़ा ने मुलाकात की. उन्होंने सहायक पुलिसकर्मियों के लिए दरी व पेयजल के लिए दो टैंकर पानी उपलब्ध करायी. मेयर ने कहा कि इन पुलिसकर्मियों को किसी तरह की परेशानी न हो, इसके लिए निगम की ओर से दो मोबाइल टॉयलेट की व्यवस्था की गयी थी.
मोबाइल टॉयलेट की संख्या और बढ़ायी जाायेगी. मेयर ने इस दौरान सहायक पुलिसकर्मियों के स्नान आदि के लिए चिल्ड्रन पार्क का शौचालय खोलने का आदेश दिया. मेयर ने कहा कि 31 अगस्त को सहायक पुलिसकर्मियों की संविदा अवधि समाप्त हो चुकी है. राज्य सरकार ने संविदा विस्तार या स्थायीकरण की दिशा में कोई पहल नहीं की है.
अमानवीय व्यवहार करनेवाले अफसरों पर हो कार्रवाई : बाबूलाल
इधर, रविवार को पूर्व मुख्यमंत्री बाबूलाल मरांडी ने आंदोलनरत सहायक पुलिसकर्मियों से मुलाकात की. उन्होंने कहा कि सहायक पुलिसकर्मियों ने जैसा बताया, उसके अनुसार हमें लगा कि कोई भी सरकार इतनी अमानवीय कैसे हो सकती है? लोकतंत्र में किसी को भी लोकतांत्रिक तरीके से अपनी आवाज उठाने का हक है.
आंदोलन के लिए ये लोग जब रांची आ रहे थे, तब रास्ते में इनके साथ जैसा सलूक किया गया, वह जांच का विषय है. आंदोलन में महिलाएं भी शामिल हैं. उनके साथ छोटे-छोटे बच्चे भी हैं, इनकी भी परवाह नहीं की गयी. रास्ते में इन्हें जगह-जगह रोका गया. वाहन से उतार दिया गया. 70-80 किमी की दूरी पैदल तय कर ये लोग रांची यहां पहुंचे हैं. सरकार को चाहिए कि जिस अफसर ने ऐसा कृत्य किया है, उसे सजा मिले.
posted by : sameer oraon