रांची : राजधानी के तीन वार्ड कार्यालयों में 16 अगस्त 2019 को अटल क्लिनिक की शुरुआत की गयी. प्रतिदिन इन क्लिनिकों में 300 से अधिक मरीजों का इलाज हो रहा है. मौसमी बीमारी का इलाज, बीपी व शुगर की जांच सहित थोड़ा बहुत ड्रेसिंग का काम यहां किया जाता है. लेकिन, सरकार द्वारा इसका प्रचार-प्रसार नहीं किये जाने के कारण शहर की बड़ी आबादी को इन क्लिनिकों के बारे में जानकारी नहीं है.
ऐसे में लोगों को छोटी बीमारियों के लिए भी अस्पतालों का चक्कर लगाना पड़ता है. आम लोगों को छोटी-मोटी बीमारियों के लिए अस्पतालों का चक्कर न लगाना पड़े, इसके लिए इसका विस्तार शहर के 53 वार्डों में करने की बात कही गयी थी.
स्वास्थ्य विभाग के प्रधान सचिव डॉ नितिन कुलकर्णी ने कहा कि कोरोना काल में यहां के डॉक्टरों को कोविड अस्पताल में पदस्थापित करना पड़ा था. इस कारण लॉकडाउन के दौरान अटल क्लिनिक प्रभावित हुआ. अब अटल क्लिनिक समेत सभी अस्पतालों में सुचारु रूप से इलाज चल रहे हैं. जहां भी सामान्य इलाज हो रहा था, वहां सामान्य इलाज की सुविधा चालू करने का निर्देश पूर्व में ही सिविल सर्जन को दिया जा चुका है.
स्वास्थ्य विभाग अटल क्लिनिक की बेहतरी को लेकर कोई कदम नहीं उठा रहा है. आज भी ये क्लिनिक रोजाना चार घंटे ही खुलता है. सुबह आठ से 10 बजे और शाम में छह से आठ बजे तक ही. इसके साथ ही क्लिनिक में एक डॉक्टर के ही प्रतिनियुक्त होने के कारण मरीजों को परेशानी होती है. कभी-कभार जब डॉक्टर नहीं आते हैं, तो नर्सें ही सामान्य सर्दी, खांसी व बुखारवाले मरीजों को दवा देती हैं. लोगों का कहना है कि अटल क्लिनिक को कम से कम 12 घंटे तक खोलना चाहिए. साथ ही एक की जगह दो डॉक्टर की प्रतिनियुक्ति की जानी चाहिए, ताकि आम आदमी जरूरत पड़ने पर यहां आकर अपना इलाज करा सके.
राजधानी में चल रहे अटल क्लिनिक में इलाज के लिए आनेवाले लोगों से किसी प्रकार की फीस नहीं ली जाती है. वहीं, डॉक्टरों से दिखाने के बाद मरीजों को दवाइयां भी मुफ्त में दी जाती हैं. अगर किसी वजह से क्लिनिक में दवा उपलब्ध नहीं है, तब ही मरीज किसी मेडिकल दुकान से दवाएं खरीदते हैं. हालांकि, क्लिनिक में किसी प्रकार की मशीन नहीं होने के कारण बड़ी बीमारियों की जांच नहीं हो पाती है.
posted by : sameer oraon