Jharkhand news, Ranchi news : रांची : कृषि आधारित आजीविका को बढ़ावा देने के उद्देश्य से सब्सिडी आधारित बीज की उपलब्धता राज्य की लाखों सखी मंडल की बहनों तक सुनिश्चित किया गया है. इस पहल के तहत खेती के मौसम को ध्यान में रखते हुए उच्च गुणवत्ता के बीज ग्रामीण इलाकों में सखी मंडल की दीदियों को सस्ती कीमत पर सब्सिडी योजना के तहत वितरण किया गया है. सखी मंडल की दीदियों को आपदा की इस घड़ी में खरीफ फसलों से जोड़ कर उनकी आजीविका को सशक्त करने के प्रयास किये जा रहे हैं. कृषि, पशुपालन एवं सहकारिता विभाग के बीज विनिमय एवं वितरण कार्यक्रम एवं बीजोत्पादन योजना अंतर्गत ग्रामीण परिवारों को सखी मंडल के जरिये 50 फीसदी सब्सिडी पर उन्नत किस्म के बीज उपलब्ध कराये गये हैं.
राज्य भर में जेएसएलपीएस के जरिये अब तक करीब 2259.2 क्विंटल धान के बीज का वितरण हो चुका है, वहीं रोपाई एवं अन्य कार्य प्रगति पर है. दलहन की खेती को बढ़ावा देते हुए राज्य में 930.3 क्विंटल अरहर, 322.4 क्विंटल उड़द एवं करीब 26.5 क्विंटल मूंग के बीज का वितरण किया गया है. सखी मंडलों को आधार बनाकर कुपोषण से लड़ने में सहायक रागी एवं मूंगफली के क्रमश 183.3 क्विंटल एवं 132.4 क्विंटल बीज वितरण किया गया है. वहीं, दीदियों को 516.1 क्विंटल मक्का का बीज भी उपलब्ध कराया गया है. इसके एवज में दीदियों से करीब 19 करोड़ रुपये का संग्रहण अंशदान के रूप में हो रहा है.
Also Read: 6 घंटे में ग्रामीणों ने श्रमदान से भंडार टोली में बनायी एक किलोमीटर सड़कग्रामीण विकास विभाग अंतर्गत झारखंड स्टेट लाइवलीहुड प्रमोशन सोसाईटी के तहत आजीविका संवर्धन के प्रयासों के जरिये इस साल सखी मंडल से जुड़े करीब 15 लाख परिवारों को कृषि आधारित आजीविका से जोड़ा जा रहा है. इसमें करीब 4 लाख बाहर से लौटे प्रवासियों को भी शामिल किया गया है, ताकि तत्काल वो खेती के कार्यों में जुटें और सशक्त आजीविका की ओर आगे बढ़ें.
हजारीबाग के दारु स्थित अपने गांव पुनई लौटे लखन राणा मुंबई में मजदूरी करते थे. लॉकडाउन में गांव लौटे लखन बताते हैं कि मेरी पत्नी बबीता, लक्ष्मी सखी मंडल से जुड़ी है और हम मिलकर खेती में अपनी किस्मत आजमा रहे हैं. खरीफ में खेती के लिए अरहर, मूंग, उड़द एवं मक्का का बीज जेएसएलपीएस की तरफ से उपलब्ध कराया गया है. सब्सिडी पर बीज मिलने की वजह से ही हम धान के अलावा दलहन की भी खेती कर पा रहे हैं. लखन आगे बताते हैं कि अब मुंबई जाने का इरादा नहीं है. अपनी पत्नी के साथ खेती-बारी के कार्य को ही आगे बढ़ाना है.
वहीं, राज्य में करीब 10,000 अति विशिष्ट आदिम जनजाती (पीवीटीजी) परिवारों के आजीविका प्रोत्साहन एवं कुपोषण से जंग के लिए पोषण वाटिक किट का वितरण भी किया गया है. पीवीटीजी परिवार को उपलब्ध कराये गये इस किट में कुपोषण से लड़ाई में सहायक विभिन्न साग-सब्जियों के बीज होते हैं.
इस पहल के जरिये खरीफ फसलों में राज्य के उत्पादन को बढ़ोतरी के पथ पर ले जाने में मदद मिलेगी, वहीं आपदा के इस दौर में उच्च गुणवत्ता बीज से किसानों को उत्पादों के जरिये अच्छा लाभ होगा.
Posted By : Samir Ranjan.