शकील अख्तर/मनोज सिंह(रांची). मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना में सामान की आपूर्ति के लिए पिछले चार साल से सप्लायर नहीं मिल रहा है. किसानों की आय दोगुनी करने की कोशिश में गव्य विकास योजनाओं के लिए निर्धारित खर्च में भी गिरावट दर्ज की जा रही है. इससे राज्य में प्रति व्यक्ति प्रतिदिन दूध की उपलब्धता सिर्फ 195 ग्राम प्रति व्यक्ति तक ही पहुंच पायी है. यह राष्ट्रीय औसत 459 ग्राम प्रति व्यक्ति की उपलब्धता के मुकाबले काफी कम है.
किसानों की आमदनी में डेयरी क्षेत्र का योगदान सिर्फ 12 प्रतिशत
गव्य विकास को किसानों की आमदनी दोगुनी करने के महत्वपूर्ण कारकों में एक माना जाता है. हालांकि राज्य में किसानों की आमदनी में डेयरी क्षेत्र का योगदान सिर्फ 12 प्रतिशत है. सरकारी आंकड़ों के अनुसार, गव्य विकास के लिए निर्धारित योजना आकार का खर्च चालू वित्तीय वर्ष में गिर कर 31.08 प्रतिशत पहुंच गया है. हालांकि वित्तीय वर्ष 2021-22 के मुकाबले चालू वित्तीय वर्ष में योजना आकार में कई गुना वृद्धि की जा चुकी है. किसानों की आय और दूध की उपलब्धता बढ़ाने के लिए मुख्यमंत्री पशुधन विकास योजना का क्रियान्वयन किया जा रहा है. इस योजना के तहत अनुदान पर दुधारू पशुओं का वितरण किया जाता है. साथ ही किसानों को विभिन्न प्रकार के सामान देने का प्रावधान है. इन सामान में चौफ कटर, मिल्कींग मशीन, खोआ व पनीर बनाने की मशीन शामिल है.
वर्ष 2020-21 से जेम पोर्टल पर टेंडर प्रकाशित कर रही है सरकार
राज्य सरकार किसानों के बीच इन सामानों को बांटने के लिए सप्लायर की तलाश में वर्ष 2020-21 से जेम पोर्टल पर टेंडर प्रकाशित कर रही है. लेकिन 2020-21 से लेकर 2023-24 तक जेम पोर्टल पर निकाले गये टेंडर में सरकार को एक भी सफल सप्लायर नहीं मिला. टेंडर में हिस्सा लेनेवाले किसी भी सप्लायर ने सरकार द्वारा निर्धारित शर्तें पूरी नहीं की. इस स्थिति को देखते हुए क्रय समिति ने जेम पोर्टल पर प्रकाशित सभी टेंडरों को रद्द करने का फैसला किया. इसके बाद वित्तीय वर्ष 2024-25 में इन सामानों की आपूर्ति के लिए झारखंड सरकार के इ-प्रोक्योरमेंट सिस्टम पर टेंडर प्रकाशित किया. इसमें भी तीन- चार सप्लायरों ने ही हिस्सा लिया है. फिलहाल इनके द्वारा दिये गये दस्तावेज की जांच की जा रही है.
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