बिपिन सिंह (रांची).
झारखंड में ‘आयुष्मान भारत : प्रधानमंत्री जन आरोग्य योजना’ दम तोड़ने के कगार पर पहुंच गयी है. राजधानी रांची समेत राज्य के कुछ बड़े जिलों को छोड़ कर अधिकतर छोटे जिलों में मरीजों को इस योजना के तहत गुणवत्तापूर्ण स्वास्थ्य सेवाएं नहीं मिल पा रही हैं. निचले क्रम के ज्यादातर सरकारी अस्पतालों ने इस योजना का लाभ देना लगभग बंद कर दिया है. सितंबर 2018 में पीएम नरेंद्र मोदी ने रांची से यह योजना देश भर में लांच की थी. लेकिन, विशेषज्ञ चिकित्सकों और आधारभूत संरचना की कमी के चलते आमलोगों को इस योजना का लाभ नहीं मिल रहा है. चतरा, साहिबगंज, जामताड़ा और पाकुड़ जिले में इस योजना के तहत बहुत कम मरीजों का इलाज किया गया है. उक्त जिलों में इस योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2023-24 के दौरान सिर्फ 547 से 1290 केस दर्ज किये गये. जबकि, इस अवधि में रांची सदर अस्पताल ने 51,968 केस में क्लेम दर्ज कराया.अस्पतालों में कम हुए इलाज :
आयुष्मान भारत योजना के तहत 24 जिलों में निजी और सरकारी अस्पताल अनुबंधित हैं. योजना के तहत वित्तीय वर्ष 2022-23 में 2,07,934 केस रजिस्टर्ड किये गये थे. वहीं, 2023-24 में सिर्फ 1,84,609 केस ही दर्ज हुए. यानी एक साल में 23,325 केस कम हो गये.डिस्क्लेमर: यह प्रभात खबर समाचार पत्र की ऑटोमेटेड न्यूज फीड है. इसे प्रभात खबर डॉट कॉम की टीम ने संपादित नहीं किया है