आयुष्मान के मरीजों से इलाज कराने के लिए वसूले गये पैसे, संदेह के घेरे में रांची का सदर अस्पताल
जानकारी के अनुसार, 104 हेल्थ हेल्पलाइन के माध्यम से एक अगस्त से एक नवंबर के बीच सदर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने वाले आयुष्मान लाभुकों को कॉल किया गया था.
रांची: आयुष्मान योजना के तहत रांची सदर अस्पताल में उपचार करानेवाले नौ फीसदी लोगों ने स्वीकार किया है कि अस्पताल में दाखिल होकर उपचार कराने के लिए उनसे पैसे वसूले गये. इसका खुलासा स्वास्थ्य विभाग ने अपनी ही आंतरिक रिपोर्ट में किया है. रिपोर्ट के नौवें पैरा में इसका जिक्र है. वैसे रिपोर्ट में यह जिक्र नहीं है कि इन पैसों का भुगतान आखिर किसे किया गया. अब इस खुलासे के बाद से रांची सदर अस्पताल खुद संदेह के घेरे में है और यहां की व्यवस्था पर सवाल उठाये जाने लगे हैं.
लाभुकों को कॉल कर जुटायी गयी जानकारी :
जानकारी के अनुसार, 104 हेल्थ हेल्पलाइन के माध्यम से एक अगस्त से एक नवंबर के बीच सदर अस्पताल में भर्ती होकर इलाज कराने वाले आयुष्मान लाभुकों को कॉल किया गया था. जिसके बाद आंतरिक रिपोर्ट तैयार कर नवंबर के तीसरे सप्ताह में विभागीय अधिकारियों को सौंपा गया. इसके बाद राष्ट्रीय स्वास्थ्य मिशन (एनएचएम) के अभियान निदेशक ने जिला के चिकित्सा पदाधिकारियों को पत्र लिखा है.
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बताते चलें कि आयुष्मान योजना का मूल उद्देश्य गरीबों पर इलाज कराने में पड़नेवाले आर्थिक बोझ को कम करना और गुणवत्तापूर्वक इलाज समय पर देना है. इसके तहत चिह्नित परिवारों को योजना से संबद्ध देशभर के किसी भी चिह्नित सरकारी या निजी अस्पताल में महज कार्ड दिखाने मात्र से ही पांच लाख तक नि:शुल्क उपचार की सुविधा दी जाती है.
कमाई के मामले में देश भर में तीसरा सरकारी जिला अस्पताल :
आयुष्मान योजना सितंबर, 2018 में रांची में लांच की गयी थी. जिसके बाद रांची सदर अस्पताल ने कमाई और सर्वाधिक क्लेम दर्ज कर देश भर में तीसरा सरकारी जिला अस्पताल के तौर पर सुर्खियां बटोरी थीं. योजना के लागू होने के इन पांच वर्षों में रांची सदर अस्पताल ने ही अकेले 75,789 मरीजों का इलाज कर एक बड़ी उपलब्धि दर्ज की है. लोगों ने आयुष्मान के तहत मिलने वाले हेल्थ इंश्योरेंस कवर के तहत 34 करोड़ से अधिक राशि का क्लेम (प्री ऑथ) कराया है.
रांची सदर अस्पताल की टीम को भी मिल रहा आयुष्मान योजना का लाभ
सदर अस्पताल में आयुष्मान योजना के तहत सूचीबद्ध स्वीपर से लेकर पैरा मेडिकल स्टॉफ और डॉक्टर तक को कुछ न कुछ इन्सेंटिव प्राप्त हो रहा है. आय का लाभ पूरी टीम को मिल रहा है. मरीजों के अंतिम दावों का भी इसी अनुरूप निबटारा कर दिया जाये, तो उसके अनुसार वह अपनी बीमारियों पर खुद की 30 करोड़ से ज्यादा राशि बचा पाने में सफल रहे हैं.