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Azadi Ka Amrit Mahotsav: रामानंद खेतान ने यूनियन जैक का झंडा हटा कतरास थाना में फहराया था तिरंगा

हम आजादी का अमृत उत्सव मना रहे हैं. भारत की आजादी के लिए अपने प्राण और जीवन की आहूति देनेवाले वीर योद्धाओं को याद कर रहे हैं. आजादी के ऐसे भी दीवाने थे,जिन्हें देश-दुनिया बहुत नहीं जानती. वह गुमनाम रहे और आजादी के जुनून के लिए सारा जीवन खपा दिया.झारखंड की माटी ऐसे आजादी के सिपाहियों की गवाह रही है.

By Contributor | August 5, 2022 9:00 PM
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Azadi Ka Amrit Mahotsav: अ गस्त 1942 का समय था. पूरे देश में अंग्रेजों भारत छोड़ो का आंदोलन चल रहा था. कतरास में भी युवाओं का जोश कम नहीं था. उस समय कांग्रेस की सभा कतरास में हुई, जिसमें रामानंद खेतान तथा बीपी सिन्हा ने भाग लिया. आंदोलनकारियों ने कतरास थाना में तिरंगा फहराने का निर्णय लिया. दूसरे दिन सुबह-सवेरे रामानंद खेतान तथा बीपी सिन्हा ने कतरास थाना के पीछे सीढ़ी लगाकर यूनियन जैक का झंडा हटा उसके स्थान पर तिरंगा फहरा दिया. सीढ़ी लगाने की जिम्मेदारी सरदार इंदर सिंह को सौंपी गयी थी. पुलिस को जब पता चला, तो उसने दोनों को गिरफ्तार कर लिया. यह पता चलते ही पूरा कतरास आंदोलित हो उठा. तत्कालीन उपायुक्त बीकेबी पिल्लई कतरास पहुंचे थे. इस दौरान पत्थरबाजी में उन्हें भी एक पत्थर जा लगा. दोनों नेताओं को कतरास थाना से धनबाद जेल भेज दिया गया. फिर भी लोगों का गुस्सा कम नहीं हुआ. बाद में रामानंद खेतान को हजारीबाग जेल भेजा गया. एक साल तक जेल में रहने के बाद वे बाहर आये. श्री खेतान ने नमक सत्याग्रह, शराब की दुकानों का बहिष्कार, विदेशी कपड़ों की होली जलाने के आंदोलन में हिस्सा लिया था.

सामाजिक कार्यों में सेवाभाव से लगे रहे

रामानंद खेतान जीवनपर्यंत कांग्रेस के सच्चे सिपाही बने रहे. कतरास में भारतीय क्लब उनकी अमर कृति है. उनके प्रयास से ही भारतीय क्लब का संचालन होता रहा. भारतीय क्लब में जितनी किताबें हैं, उनमें से अधिकतर उनके द्वारा ही खरीदी हुई हैं. वे क्लब के लिए हमेशा पुस्तक मेला तथा किताब दुकानों की खाक छानते थे. वे जितने अच्छे वक्ता था, उतना ही अच्छा लिखते थे. स्थानीय अखबारों के संपादकों से उनकी गहरी छनती थी. उनके लेख भी बराबर प्रकाशित होते थे.

पहले अखबार, फिर कैलेंडर बेचा

रामानंद खेतान ने प्रथम श्रेणी से मैट्रिक परीक्षा पास की थी. युवावस्था में ही उनका अपने पिता से अनबन हो गया. उन्होंने पहले अखबार, फिर कैलेंडर बेचा. वह डालमियानगर जाकर आरके डालमिया से मिले. डालमिया खेतान से मिलकर प्रभावित हुए और उन्हें अपना पीए रख लिया. आजादी के आंदोलन के दौरान भारतीय क्लब में डॉ राजेंद्र प्रसाद, जयप्रकाश नारायण जैसे बड़े नेताओं को बुलाया गया था. रामधारी सिंह ‘दिनकर’ ने रामानंद खेतान तथा भारतीय क्लब की सराहना की थी.

रामानंद खेतान को चार पुत्र हुए. मोहन खेतान जीएम होकर रिटायर हुए. दूसरे पुत्र श्रीकृष्ण खेतान इंजीनियरिंग कर जमशेदपुर में फैक्ट्री चलाते है. तीसरे पुत्र श्रवण खेतान की कतरास में ज्वेलरी दुकान है. चौथे पुत्र नवदीप खेतान धनबाद में कोयला व्यवसायी हैं. पुत्र श्रवण खेतान ने बताया कि पिताजी का यहां की सभी सामाजिक संस्थाओं से काफी लगाव था. श्री खेतान ने बताया कि पिताजी ने कभी पेंशन नहीं ली, न ही भारतीय क्लब को चलाने के लिए किसी सरकारी सहायता के भरोसे रहे. उन्होंने क्लब को चलाने के लिए ऐसा सिस्टम बनाया, जिससे पैसे की कमी महसूस नहीं हो.

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